चमत्कार को नमस्कार, घी या तेल से नहीं पानी से जलता है इस देवी मंदिर का महाजोत
कहा और सुना जाता है कि जहां आस्था होती है, वहां चमत्कार भी होते है। ठीक इसके उलट यह भी उतना ही सही है कि जहां चमत्कार होते हैं, लोगों की आस्था वहां और भी बढ़ जाती है।
फिर जब मामला धर्म का हो तो इसमें श्रद्धा भी जुड़ जाती है, फिर वह चमत्कार जाने-अनजाने चाहे जिस कारण से हो, लोग उसे दैवी-कृपा ही मानते हैं।
गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से विख्यात है यह मंदिर
यहां चर्चा एक ऐसे देवी मंदिर की हो रही है, जो देश का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में कालीसिंध नदी के किनारे स्थित है और गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से विख्यात है।
कहते हैं इस मंदिर में पिछले पांच सालों से एक महाजोत (दीपक) लगातार जलता आ रहा है। हालांकि देश में ऐसे अनेक मंदिर हैं, जहां इससे भी लम्बे समय से दीये जलते आ रहे हैं, लेकिन यहां के महाजोत की बात सबसे जुदा है।
दीये में डाला जाता है कालीसिंध नदी का पानी
इस देवी मंदिर के पुजारी का दावा है कि इस मंदिर में जो महाजोत जल रहा है, उसे जलाने के लिए किसी घी, तेल, मोम या किसी अन्य ईंधन की जरुरत नहीं पड़ती है,बल्कि यह आग के दुश्मन पानी से जलती है।
पुजारी का दावा है कि दीये में कालीसिंध नदी का पानी डाला जाता है। जब दीये में पानी डाला जाता है, तो वह चिपचिपा तरल हो जाता है, जिससे दीपक लगातार जलता रहता है। यह वाकई अजीब है।
दूर-दूर से चमत्कार देखने आते हैं लोग
यही कारण है कि मंदिर और देवी की यह महिमा जानकर इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग देवी के दर्शन करने के लिए आते है।
जब वे अपनी आंखों के सामने पानी से दीपक की ज्योत जलता हुआ देखते हैं, तो उनकी भक्ति और श्रद्दा और बढ़ जाती है।