वैसे इससे पहले इस मिशन की लांच तारीख कई बार टल चुकी है लेकिन अब अगले साल जनवरी में इसे लांच करने की तैयारी पुख्ता है। इससे पहले चंद्रयान-2 को अक्टूबर के पहले सप्ताह में भेजा जाना था, लेकिन फिर उसे दिसंबर, 2018 तक टाल दिया गया। अब इसरो ने बताया है कि मार्च 2019 से पहले 19 स्पेस मिशन लांच किए जाएंगे।
चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बनने की रेस
बता दें कि अब तक अमेरिका, रूस और चीन पहले ही चांद पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। अब चांद तक पहुंचने की रेस में दो एशियाई देश भारत और इजरायल हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि भारत और इजरायल में से कौन सा देश चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बनेगा।
चांद पर भारत की दूसरी यात्रा
यह भारत की दूसरी चांद यात्रा है। भारत के मून रोवर की पहली तस्वीर इसरो के 800 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चंद्रयान- 2 मिशन का हिस्सा ही है। कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 मिशन के जरिए भारत दक्षिण ध्रुव के करीब सॉफ्ट लैंडिंग कर, छह पहियों वाले रोवर को स्थापित करने की तैयारी में है, ताकि चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां हासिल करने की जा सकें। अपने इस मून मिशन के लिए भारत अपने सबसे भारी रॉकेट बाहुबली का इस्तेमाल कर रहा है।
चंद्रयान-2 यान का वजन 3,290 किलो है और यह चंद्रमा के चारों ओर चक्कर काटेगा और उसका अध्ययन करेगा। यान के पेलोड चांद की सतह से वैज्ञानिक सूचनाएं और नमूने एकत्र करेंगे। यह पेलोड चांद के खनिज, तत्वों की संरचना, चांद के वातावरण और वाटर आइस का भी अध्ययन करेगा। इसरो ने अपना पहला चंद्र अभियान चंद्रयान-1 वर्ष 2008 में लांच किया था।
चंद्रयान-2 ऐसे रचेगा इतिहास
चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद, लैंडर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा
चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा।
लैंडर के अंदर लगे 6-पहिए वाले रोवर अलग हो जाएंगे और चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़ेंगे।
यह चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक रह पाएगा।
चंद्रयान-2 150-200 किमी तक चलने में सक्षम होगा।
रोवर 15 मिनट के भीतर चंद्रमा की सतह के आंकड़े और छवियों को पृथ्वी पर भेज देगा।
14 दिनों के बाद रोवर स्लीप मोड में जाएगा।