चारबाग रेलवे स्टेशन पर लकड़ी के जर्जर स्लीपर पर चल रहीं ट्रेनें
लखनऊ। राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन पर वर्षों पुरानी लकड़ी के जर्जर स्लीपर पर अभी भी ट्रेनें चल रही है। रेलवे प्रशासन इन्हें बदलने के लिए ब्लॉक नहीं दे रहा है। रेलवे सूत्रों ने बताया कि चारबाग रेलवे स्टेशन के चार प्लेटफार्मों के वॉशेबल एप्रेन (पटरी के नीचे का हिस्सा) बदलने का काम बजट मिलने के बावजूद नहीं हो पा रहा है। यहां के नौ प्लेटफार्मों पर प्रतिदिन 290 ट्रेनें गुजरती हैं। यहां प्लेटफार्म एक, दो और तीन पर वॉशेबल एप्रेन बना है, जबकि चार नंबर पर लकड़ी के स्लीपर लगे हैं। पांच से सात तक भी कंक्रीट और सीमेंट के वॉशेबल एप्रेन हैं, लेकिन इन सभी की हालत जर्जर हो गई है। चार साल पहले प्लेटफार्म एक का वॉशेबल एप्रेन बदला गया था। तब लखनऊ मेल सहित अन्य ट्रेनों को दूसरे प्लेटफार्मो से चलाया गया था। उन्होंने बताया कि अब यह वॉशेबल एप्रेन टूटने लगा है। आलम यह है कि ट्रेनें जब इन प्लेटफार्मों पर आती हैं तो पटरी का हिस्सा टूटे हुए वॉशेबुल एप्रेन के बीच धंसने लगता है। रेल पथ के कर्मचारी इसे लगातार ठीक करते रहते हैं। वहीं, प्लेटफार्म नंबर चार पर लगे लकड़ी के स्लीपर और गुटखे अब तक नहीं बदले जा सके हैं। कई जगह से टूट रहे लकड़ी के स्लीपर की वजह से हादसा भी हो सकता है। उत्तर रेलवे ने वॉशेबल एप्रेन को नए सिरे से बनाने के लिए रेलवे बोर्ड से तीन महीने पहले ही पत्र लिखकर ब्लॉक मांगा था। अब तक रेलवे को यह ब्लॉक नहीं मिल सका है।