चीन से निपटने की तैयारी, 1962 के बाद पहली बार यहां उतरा सुखोई
नई दिल्ली। चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने पूर्वोत्तर राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत ही भारत ने अरुणाचल प्रदेश के पस्सी घाट में पहली बार सुखाेई 30 विमान उतारा। जिस जगह विमान को लैंड करवाया गया वहां से चीन की सीमा मात्र 80 किलोमीटर दूर है।
विमान को यहां उतारने के पीछे चीन के अतिक्रमण और लगातार घुसपैठ की कोशिशों को रोकना है। इसके अलावा भारत यह भी सुनिश्चित कर देना चाहता है कि किसी भी आपात स्थिति में भारत यहां पर सैन्य मदद पहुंचा सके।
इस अग्रिम एयरफील्ड का इस्तेमाल 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों और रसद पहुंचाने के लिए हुआ करता था। लेकिन बाद में यह बंद कर दिया गया।
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस हवाई पट्टी को दुरुस्त किया गया। विमान को सकुशल उतारने के लिए पासीघाट हवाईपट्टी पर उगी घास को हटाया गया अौर इसकी मरम्मत की गई। इस एडवांस्ड एयरस्ट्रिप का उद्घाटन गृहराज्य मंत्री किरन रिजिजू ने किया। भारत का यह देश में पांचवां एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड है।
चीन की ताकत को कम करने के लिए भारत ने अंडमान-निकोबार में सुखोई-30MKI फाइटर जेट के अतिरिक्त बेड़े की तैनाती के अलावा पूर्वोत्तर में खुफिया ड्रोन और मिसाइल तैनात की हैं। इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में टैंक रेजिमेंट्स के साथ ही सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई गई है।