वोट मांगने की आदत ऐसी पड़ी, कि सामने खड़ी पत्नी भी वोटर नजर आईं। आव देखा न ताव, मैंने उनके पैर छुए और खुद को वोट देने की अपील कर डाली। ऐसा करते ही पत्नी भी झेंप गई। हड़बड़ाहट में उसने सवाल किया कि अरे, यह क्या रहे हो आप? उनकी आवाज सुनकर समझ गया कि गड़बड़ हो गई है।
फिर, हम दोनों मुस्कुराते हुए घर में दाखिल हुए। बहरहाल, इन सबके बीच दूसरी बात संसद पहुंचने में कामयाब रहा। बाद में कभी-कभार पत्नी चुटकी लेती कि जब मेरा आशीर्वाद मिल गया था, तो कौन चुनाव हरा सकता था।