चेन्नई में भगवान श्रीकृष्ण के इस रहस्यमय पत्थर को 7-7 हाथी भी हिला नहीं पाए
हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो ट्रिप के दौरान खास चीजों को तलाशते रहते हैं. उन्हें घूमने-फिरने के अलावा किसी खास चीजों को जानने का बेहद शौक होता है, आइए, हम आपको ऐसे ही अजूबे के बारे में बताते हैं, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.
कृष्णा बटर बॉल को नहीं हिला पाए 7 हाथी
ऐसा ही एक अजूबा है ‘कृष्णा की बटर बॉल’ के नाम से प्रसिद्ध एक विशालकाय पत्थर जो दक्षिणी भारत में चेन्नई के एक कस्बे में महाबलीपुरम के किनारे स्थित है. रहस्यमयी पत्थर का यह विशाल गोला एक ढलान वाली पहाड़ी पर, 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के टिका हुआ है. यह पत्थर कृष्णा की बटर बॉल के नाम से फेमस है. माना जाता है यह कृष्ण के प्रिय भोजन मक्खन का प्रतीक है जो स्वयं स्वर्ग से गिरा है.
यह पत्थर आकार में 20 फीट ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा है. जिसका वजन लगभग 250 टन है. अपने विशाल आकार के वाबजूद कृष्णा की यह बटर बॉल भौतिक विज्ञान के ग्रेविटी के नियमों की उपेक्षा करते हुए पहाड़ी की 4 फीट की सतह पर, अनेक शताब्दियों से एक जगह पर टिकी हुई है. देखने वालों को महसूस होता है कि यह पत्थर किसी भी क्षण गिरकर इस पहाड़ी को चकनाचूर कर देगा. जबकि पत्थर का अस्तित्व आज तक एक रहस्य बना हुआ है. अनेक वैज्ञानिक इसके बारे में अलग अलग सिद्धांतों का प्रतिपादन करते हैं.
वैज्ञानिकों के पास भी नहीं ठोस आधार
कुछ का मानना है की यह पत्थर का प्राकृतिक प्रारूप है लेकिन जियोलॉजिस्ट मानते हैं कि कोई भी प्राकर्तिक पदार्थ ऐसे असामान्य आकार के पत्थर का निर्माण नहीं कर सकते. कुछ स्थानीय लोग इसको भगवान का चमत्कार मानते हैं. दक्षिण भारत में राज करने वाले पल्लव वंश के राजा ने इस पत्थर को हटाने का प्रयास किया, लेकिन कई कोशिशों के बाद उनके शक्तिशाली लोग इसको खिसकाने में भी सफल नहीं हुए.
1908 में मद्रास के गवर्नर आर्थर ने इसको हटाने का आदेश दिया जिसके लिए सात हाथियों को काम पर लगाया गया लेकिन यह पत्थर टस से मस नहीं हुआ. कृष्णा बटर बॉल अब एक टूरिस्ट आकर्षण बन चुका है,जहां हजारों लोग हर साल इसको देखने आते है, जिनमें से कुछ इसको धकेलने का प्रयास भी करते हैं निश्चित ही वो सफल नहीं होते. लेकिन एक अद्भुत अनुभव उनके साथ होता है.