नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को एक पत्र लिखकर खेद जताया और इस बात की जानकारी दी कि क्यों वह अगले सप्ताह राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने कोलंबो नहीं जा रहे हैं। उधर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक टीवी चैनल पर स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री के श्रीलंका नहीं जाने के फैसले पर तमिलनाडु के भावुक प्रतिरोध का असर रहा है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि सरकार के फैसले को सिर्फ इसी एक पहलू से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इसके और भी कारण हो सकते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि कोलंबो में स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से भेजे गए पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा है कि 15 से 17 नवंबर के बीच होने वाली राष्ट्रमंडल देशों के सरकार प्रमुखों (चोगम) की बैठक में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद उनका प्रतिनिधित्व करेंगे। यह पत्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के फैसले के बाद भेजा गया है। सरकार ने 15 से 17 नंबर के बीच कोलंबो में होने वाले राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में भारत की हिस्सेदारी का स्तर घटाने का फैसला किया है। सरकार का यह फैसला उत्तरी श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल नागरिकों को अधिकार देने में विफलता और कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर तमिलनाडु की पार्टियों और कांग्रेस के तमिलनाडु से आने वाले मंत्रियों की आपत्ति के कारण आया है। विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री रात को दिल्ली लौटे। एक आधिकारिक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि पत्र रविवार को भेजा गया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद अब चोगम सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 53 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का यह सम्मेलन दो दशक बाद पहली बार किसी एशियाई देश में आयोजित हो रहा है। विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नवतेज सरना मंत्रालय में संयुक्त राष्ट्र मामलों के राजनीतिक संभाग के संयुक्त सचिव पवन कपूर शिखर वार्ता से पूर्व होने वाली आधिकारिक स्तर की बैठकों में हिस्सा लेंगे। विदेश सचिव सुजाता सिंह भी वहां जाएंगी। डीएमके एआईएडीएमके और अन्य तमिल पार्टियों ने चोगम सम्मेलन के बहिष्कार की मांग की थी। केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम जयंती नटराजन जी.के.वासन और वी.नारायणसामी जो तमिलनाडु के ही हैं। प्रधानमंत्री को तमिल हितों को ध्यान में रखने का दबाव डाला। प्रधानमंत्री के चोगम में हिस्सा लेने नहीं जाने के फैसले का डीएमके नेता एम. करुणानिधि ने स्वागत करते हुए कहा कि आखिरकार मनमोहन सिंह ने हमारी आवाज का सम्मान किया। कांग्रेस कोर समूह की शुक्रवार को हुई बैठक में भी प्रधानमंत्री के श्रीलंका न जाने का फैसला हुआ। दूसरी ओर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने रविवार को स्वीकार किया कि तमिलनाडु में भावुक प्रतिरोध ने श्रीलंका में होने जा रहे चोगम में प्रधानमंत्री के भाग लेने संबंधी फैसले को प्रभावित किया। उन्होंने हालांकि यह भी रेखांकित किया कि इस फैसले के किसी एक पहलू पर देखना गलत होगा। खुर्शीद ने एनडीटीवी से कहा ‘‘कई तथ्य हैं…प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में जुटे हैं और निश्चित रूप से तमिलनाडु में प्रतिरोध के ढेर मुद्दे हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री के सामने और भी कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इसलिए इस फैसले के और भी कई कारण हो सकते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा ‘‘मैं नहीं समझता कि हमें इस फैसले के किसी एक आयाम पर नजर डालना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रमंडल की हर बैठक में प्रधानमंत्री का हिस्सा लेना अनिवार्य नहीं रहा है।’’