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छत्तीसगढ़ की 30 से अधिक तहसीलों पर सूखे का साया, फसल बर्बादी की कगार पर, किसानों की चिंता बढ़ी

संजीत कुमार, रायपुर। मानसून की दगाबाजी से छत्तीसगढ़ के 28 में से 15 जिलों की 30 से ज्यादा तहसीलों पर सूखे का साया मंडराने लगा है। पानी की कमी के चलते बियासी नहीं हो पाई है, जिससे फसल बर्बादी की कगार पर है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। कांकेर और बीजापुर जिले में सबसे ज्यादा पानी का संकट है। इन दोनों जिलों में अब तक क्रमश: 53.9 और 60.8 फीसद ही बारिश हुई है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलों से रिपोर्ट तलब की है। राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कांकेर जिले की सभी सात तहसीलें अल्पवर्षा की चपेट में हैं। यहां की दुर्गूकोंदल तहसील में केवल 40 फीसद बारिश हुई है, जो राज्य में सबसे कम है। यहां की अन्य तहसीलों में भी 50 फीसद से कम बारिश हुई है। इसी तरह रायपुर जिले की आरंग तहसील में केवल 43 फीसद बारिश हुई है। बीजापुर जिले की सभी चारों तहसीलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। राजनांदगांव की 10 में से तीन तहसीलों पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है। यहां की छुरिया तहसील में केवल 61 व चौकी में 60 फीसद ही बारिश हुई है। राजस्व विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने बताया कि सभी जिलों से सात सितंबर की स्थिति में तहसीलवार बारिश की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी गई है। इसके आधार पर सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

कांकेर- कांकेर, नरहरपुर, चारामा, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा व दुर्गूकोंदल कोंडागांव- केशकाल व माकड़ी कोरिया- मल्हार गरियाबंद- छुरा जशपुर- पत्थलगांव दंतेवाड़ा- कुआकोंडा बलरामपुर- राजपुर बस्तर- बकावंड बालोद- बालोद व डौंडी बीजापुर- बीजापुर, भोपालपटनम, भैरमगढ़ व उसूर महासमुंद- सरायपाली व पिथौरा रायगढ़- रायगढ़ सूरजपुर- प्रतापपुर

इधर, मौसम विभाग ने राज्य के सात जिलों में सामान्य से कम बारिश होने की जानकारी दी है। इनमें बालोद में सामान्य से 25 फीसद कम बारिश हुई है। बस्तर में 29, बीजापुर में 14, दंतेवाड़ा में 33, जशपुर में 26, कांकेर में 31, रायगढ़ में 23 और सरगुजा में 26 फीसद कम बारिश हुई है। किसी जिले या तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने से पहले कई तरह के आकलन किए जाते हैं। इनमें सबसे बड़ा आधार बारिश का आंकड़ा है। राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार 30 फीसद से कम बारिश वाले क्षेत्र को सूखाग्रस्त की श्रेणी में रखा जाता है। इसके बाद फसल की स्थिति आदि भी देखी जाती है। वहीं, मौसम विभाग के अनुसार सामान्य से 20 फीसद कम बारिश होना भी अल्पवर्षा की श्रेणी में आता है।

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