जन्माष्टमी पर करें इस ख़ास मंत्र का जाप, मिलेगी सुख-समृद्धि, सभी पाप होंगे नष्ट
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। उनके जन्म के समय सभी मोहनिद्रा से ग्रसित हो गए थे, इसलिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मोहरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्ष की तीन रात्रि का विशेष महत्व है: कालरात्रि, महारात्रि और मोहरात्रि।
अष्टमी के दिन अर्धरात्रि या मोहरात्रि में जन्मे बाल गोपाल कृष्ण अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक हैं। उन्होंने दुनिया को गीता का उपदेश देकर लोगों को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिया। उन्होंने कर्म प्रधान समाज और धर्म को प्रतिष्ठित किया।
पंचामृत से करें कृष्ण का स्नान
23 अगस्त दिन शुक्रवार को कृतिका तदुपरि रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी पड़ रही है। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म का शुभ समय रात में 10 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक है। भगवान का जन्म होने के बाद उनको पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। ऐसा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। स्नान के बाद बाल गोपाल को फल और मिष्ठान अर्पित करें।
इस मंत्र का जाप करें
जन्मोत्सव के उपरान्त कृष्ण का पूजन एवं श्रृंगार करें। फिर इस मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से व्यक्ति को काल का भय नहीं होता है तथा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।