जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया राज्यपाल शासन
नई दिल्ली/श्रीनगर: मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद नई सरकार गठन की प्रक्रिया में लग रहे कुछ समय की वजह से जम्मू-कश्मीर में शनिवार रात राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने दिल्ली में बताया, ‘जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है।’ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा की सिफारिश के आधार पर राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुशंसा को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
सईद के निधन के बाद शोक में डूबी उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती द्वारा कुछ दिनों तक मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से मना करने के मद्देजनर राज्य में राज्यपाल शासन लगाना पड़ा है।
हालांकि, महबूबा की पार्टी पीडीपी ने राज्यपाल को पहले ही सूचित कर दिया है कि पीडीपी विधायक दल के 28 विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए उनका समर्थन किया है।
लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को 79 साल के सईद का निधन हो गया था। उनके निधन से संवैधानिक खालीपन पैदा हो गया।
पीडीपी की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने भी संकेत दिए हैं कि रविवार को चार दिनों के शोक की अवधि समाप्त होने के बाद वह नई सरकार के गठन पर फैसला करेगी।
इस बीच, पीडीपी और भाजपा ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि नई सरकार के गठन के मुद्दे पर दोनों पार्टियों के बीच कोई मतभेद हैं या दोनों में से कोई नई शर्तें रख रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल शर्मा ने बताया, ‘निश्चित तौर पर हमारी तरफ से कोई शर्त नहीं है और सरकार गठन को लेकर हमारे नेताओं की कोई मुलाकात नहीं हुई है। हम मुफ्ती साहब के शोकाकुल परिवार के शोक मनाने के अधिकार का सम्मान करते हैं।’ शर्मा ने कहा कि उन्हें सरकार गठन के मुद्दे पर राज्यपाल का पत्र मिला था लेकिन पार्टी चार दिनों के शोक की अवधि खत्म होने के बाद ही इस पर फैसला करेगी।
उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर कोई जल्दबाजी नहीं है। मुफ्ती साहब को लेकर रविवार को आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के बाद हम निश्चित तौर पर बैठक करेंगे और फैसला लेंगे।’ शर्मा ने कहा कि राज्य में भाजपा और पीडीपी के बीच यह एक ‘ऐतिहासिक’ गठबंधन है और ‘हम इसे जारी रखना चाहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम राज्य में शांति और विकास में दिलचस्पी लेते हैं और हम मुफ्ती मोहम्मद सईद की ओर से दिखाए गए इस रास्ते पर इस गठबंधन को जारी रखना चाहते हैं।’ पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि दोनों पार्टियों में से किसी ने नई सरकार गठन को लेकर कोई शर्त रखी है।
अख्तर ने कहा, ‘महबूबाजी अब भी शोक में हैं….मुफ्ती साहब न केवल उनके पिता थे बल्कि उनके मार्गदर्शक, संरक्षक और प्रेरणा भी थे। हम अभी सरकार गठन पर चर्चा करने की स्थिति में नहीं हैं तो शर्तों की बातें कैसे हो सकती हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘उचित समय पर’ पार्टी अध्यक्ष और नेतृत्व सरकार गठन पर फैसला करेगा।