अजब-गजब

जवान बेटों ने बूढी मां को नहीं दी रोटी, सड़क पर फेंका फिर…

आपको पता ही होगा कि इस दुनिया में मां के दिल जीतना बड़ा किसी का दिल नहीं होता। एक मां वह चीज होती है जो अपने संतान पर आने वाले किसी भी मुसीबत को सबसे पहले अपने ऊपर ले लेती है और भगवान से दिन-रात यही दुआ करती है कि ‘ हे भगवान मेरी जान ले लेना लेकिन कभी मेरे अलावा कोई ऊपर कोई आंच मत आने देना’।

जवान बेटों ने बूढी मां को नहीं दी रोटी, सड़क पर फेंका फिर...

कुछ ऐसे भी संतान होते हैं जो अपने मां बाप के एहसानों को भूलकर उन्हें दुनिया की वह तमाम समस्याएं दिखाने पर आमादा रहते हैं जिसे देख कर हर इंसान यही सोचता है कि काश ऐसी समस्या से पहले मृत्यु आ जाती।आज हम आपको उस महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने मानपुर के जिला कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल के सामने ऐसा बयान दिया कि उनकी भी आंखें भर आई। दरअसल मानपुर की रहने वाली रामनाथी ने बताया कि उनके पति की मृत्यु 15 साल पहले ही हो चुकी है।

महिला ने महिला ने बताया कि मेरे दो बेटे हैं जिनका नाम हरिओम और पप्पू है। वह ना तो मेरी देखभाल करते हैं और ना ही ठीक तरीके से बात करते हैं कभी-कभी तो वह दोनों मुझे खाना भी नहीं देते। यह सुनते ही कलेक्टर ने रामनाथी से दोनों बेटों को जेल भिजवाने की बात कही लेकिन रामनाथी ने कलेक्टर से गुजारिश करते हुए कहा कि साहब उन दोनों को बुलाकर डाँट दीजिए जिससे वह मुझसे बातें करें एवं मुझे भरपेट खाना दे।

इस इस पर कलेक्टर ने कहा कि उन दोनों को जेल भिजवाने पर ही न्याय होगा तो रामनाथी ने कहा कि साहब मैं भूखी रह लूंगी लेकिन मेरे बेटे को जेल मत भेजिए। बस आपसे इतना गुजारिश है कि उन्हें समझा दीजिए जिससे वह मेरे साथ अच्छा बर्ताव करें और मुझसे दो शब्द बात कर लिया करें। कलेक्टर ने तुरंत उनके बेटों को बुलाया और डांट लगाई। कलेक्टर ने चेतावनी दी अगर अगली बार मां को ऐसे छोड़ा तो जेल में डाल दूंगा। तो दोस्तों ये उन बेटों के लिए सबक है जो मां को भी बोझ समझते हैं।

बूढी माँ और उसके पोते की ये कहानी भी पढ़कर जाइए..सीख मिलेगी

एक बूढ़ी माँ जिसका पति मर चुका था। अब वह अपने बेटे-बहु और एक पोते के साथ रहने लगी थी। परिवार में सुख समृधि बहुत थी किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन अब बूढ़ी माँ के हाथ-पैर बहुत कांपने लगे थे और कोई भी काम ठीक ढ़ंग से नहीं कर पाती थी। उनके घर में शाम को खाना सब मिलकर खाते थे। बूढी माँ का बेटा शाम को ऑफिस से घर आया तो उसे भूख बहुत तेज लगी थी। वह जल्दी-जल्दी हाथ मुंह धो कर भोजन करने के लिए बैठ गया साथ में माँ भी बैठ गयी।

माँ ने जैसे ही खाने से भरी प्लेट उठाने की कोशिश की तो प्लेट हाथ से छूट गई और थोड़ी सी दाल नीचे गिर गई। बहु-बेटे ने घूरते हुए माँ की ओर देखा और फिर से अपना खाना खाने लगे। माँ ने जैसे-तैसे अपने हिलते हाथों से भोजन करना शुरू किया। कभी खाना कपड़ों पर कभी टेबल पर तो कभी जमीन पर गिर जाता था। बहु ने गुस्से में कहा- माँ, कितनी गन्दी तरह से खाना खाती हैं इनको अब अलग बिठा कर खाना देना होगा। ऐसे तो मुझसे खाया नहीं जाएगा मुझे घींन्न आती है तो उसके पति ने भी सिर हिला कर हा कहा।

छोटा बच्चा सब देख रहा था किस तरह मम्मी पापा दादी के बारे में क्या –क्या बोलते है। बहु ने अब माँ का खाना एक कोने में लगवाना शुरू कर दिया। यह सब देख कर माँ को बहुत दुःख होता वह रोते-रोते कपकापते हाथो से अकेले ही भोजन करती थी।

एक दिन भोजन करते-करते उसे वह समय याद आ रहा था जब वे अपने इसी बेटे को गोद में बिठा कर बड़े ही प्‍यार से भोजन कराया करती थी। वह बेटा भी अपना खाना मेरे कपड़ो पर गिराया करता था मेरे कपड़ो को गंदा करता था पेशाब करता था। ले‍किन मैंने कभी भी उसे खाना खिलाना बन्‍द नहीं किया। ना ही मुझे कभी घीन्न आई अब मुझसे उन्हें घिन्न आती है। यह सोचती और अपने कांपते हाथो से आशुओ को पोछती उनका पोता यह सब रोज देखता था।

एक दिन वह पोता अपनी दादी को देखे जा रहा था तभी उसकी माँ ने पूछा क्या हुआ बेटे, तुम दादी जी की तरफ क्या देख रहे हो? अपना खाना जल्दी खाओ। बच्चा बोला मम्मी मैं देख रहा हूँ कि बड़े होने के बाद मम्मी पापा बूढ़े होते है तो क्या करना चाहिए ताकि वो गंदगी न करे। जब मैं बड़ा हो जाऊंगा और मेरी पत्नी आएगी तब आप दोनों बूढ़े होगे और आपके भी हाथ पैर कापेंगे तब पआप दोनों को भी कोने में बिठा कर खाना देंगे।

बच्चे के मुँह से ऐसा सुनते ही दोनों धक्क से रह गये उस बच्चे की बात उनके मन में बैठ गई थी क्‍योंकि बच्चे ने नादानी में ही सही अपने माँ बाप को एक बड़ी सीख दे दी थी। सीख : अपने बूढ़े माँ बाप या अन्य किसी भी बूढ़े व्यक्ति के साथ ऐसा व्यव्हार न करें जिससे उनके मन को ठेस पहुंचे क्योंकि एक दिन हम सबको बूढ़ा होना है।

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