श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कार्यक्रम में कहा कि भारत-पाकिस्तान का विभाजन मोहम्मद जिन्ना ने नहीं बल्कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया। इतिहास के पन्नों को पलटते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ.फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस को भारत-पाकिस्तान बंटवारे का जिम्मेदार बताया। फारूक ने कहा कि देश को आजादी मिलने के बाद जब अलग मुस्लिम राष्ट्र के गठन का मुद्दा उठा तो एक कमीशन बना, जिसने भारत को विभाजित करने की बजाय अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की सिफारिश की।
मोहम्मद जिन्ना ने कमीशन का यह प्रस्ताव मान लिया। पाकिस्तान बनाने से पीछे हट गए लेकिन जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल व मौलाना आजाद को यह मंजूर नहीं था। इसी कारण भारत का विभाजन हुआ। फारूक ने कहा कि उस समय जो नफरत के बीज बोये गए, उसकी कीमत देश आज तक चुका रहा है लेकिन कब तक धर्म, जाति व क्षेत्र के आधार पर हम लोगों को बांटते रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के साथ भाजपा-पीडीपी पर भी साधते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियां कुर्सी बचाने के लिए लोगों को धर्म व क्षेत्र के आधार पर बांट रही है। कश्मीर में पीडीपी अल्ला के नाम पर वोट मांग रही है तो जम्मू में भाजपा राम के नाम पर। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले अचानक धर्म की राजनीति तेज हो गई है और लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है लेकिन फारूक ने कभी ऐसी राजनीति नहीं की और भविष्य में भी कभी नहीं करेंगे। जम्मू कश्मीर के तीनों हिस्सों को एकजुट रखने की अपील करते हुए फारूक ने कहा कि कश्मीर, जम्मू व लद्दाख का एकदूसरे से अटूट बंधन है, जिसे मजबूत बनाना सबका धर्म है। एक समय था जब उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तकए चारों ओर इंदिरा गांधी का परचम होता था लेकिन आज कांग्रेस पूरे देश में साफ हो गई है। लिहाजा भाजपा का जनाजा भी जल्द ही निकलेगा।
फारूक ने कहा कि चुनाव आते-जाते हैं और पार्टियां हारती-जीतती रहती हैं, जो कल सत्ता में था, आज विपक्ष में है और जो आज विपक्ष में है, वो कल सत्ता में हो सकती है। यहीं राजनीति और लोकतंत्र है। जम्मू-कश्मीर में लगातार जारी हिंसा व आतंकवादी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पाक समेत अन्य घटक दलों से बातचीत करने की वकालत करते हुए फारूक ने कहा कि जम्मूण्कश्मीर देश का मुकुट है और इसे बचाने व यहां अमन, शांति बहाल करने के लिए गम्भीर प्रयास होने चाहिए। दिल्ली समझता है कि उसे कश्मीर समस्या का पता है लेकिन वह आज तक कभी कश्मीर समस्या को समझ ही नहीं पाया, यहीं वजह है कि मसला आज तक हल नहीं हो पाया। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह टोपी पहनते हैं और उनका धर्म मुस्लिम है। इसलिए हिन्दू उन्हें मुस्लिम मानते है लेकिन वह राम के भजन गाते है क्योंकि उन्हें दिल से राम से लगाव है। इसलिए मुस्लिम उन्हें काफिर मानते है लेकिन उनका सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है और इसके लिए उन्हें किसी के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं।