जाड़ों की गुनगुनी धूप में नीमराना की सैर
अगर आप दिल्ली या आसपास के इलाके में रहते हैं और वीकेंड पर कहीं घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो नीमराना चले आएं। नीमराना के टूरिज्म का सिलसिला ही नीमराना किले के होटल में तब्दील होने के साथ शुरू हुआ है। किले के भीतर तमाम तस्वीरें हैं जिन्हें देखकर बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी खूबसूरती से किले को होटल में तब्दील किया गया है। जाड़ों में गुनगुनी धूप, बारिश में रोमांस से सराबोर पल और गर्मियों में झरोखों से झरझर बहती ठंडी हवाएं, हर मौसम में नीमराना, आपको यहां आने और एक-दो रात गुजारने का न्योता देता है।
नीमराना घूमने का मतलब ही नीमराना किला देखना है। राजसी ठाठ-बाट से लैस नीमराना किला यूं तो एकांत जगह है। फिर भी, कल्चरल और संगीतमय कार्य का सिलसिला दिल बहलाता रहता है। आर्ट एग्जीबिशन, डांस कॉन्सर्ट और शुभा मुद्गल जैसी गायन शख्सियतों के लाइव शो अक्सर होते रहते हैं। फिर, नीमराना किला ही आज शानदार होटल है। यही नीमराना की बेस्ट प्लेस टु विजिट है। रात नहीं गुजारना चाहें, तो भी तयशुदा शुल्क अदा कर, टूरिस्ट चंद घंटे नीमराना पैलेस होटल घूम सकते हैं।
सबसे पुराना हेरिटेज रिजॉर्ट
नीमराना किला 9 मंजिला है। 1464 के आसपास बना है। इस लिहाज से नीमराना किला देश का सबसे पुराना हेरिटेज रिजॉर्ट कहलाता है। यह करीब 25 एकड़ में फैला है। यहां मेहमानों को राजस्थानी और फ्रेंच व्यंजन परोसे जाते हैं। नीमराना किला पहाड़ की ऊंचाई के साथ ऊपर की ओर बढ़ता है। इसमें नीचे से ऊपर जाने पर, पहाड़ी पर चढ़ने का अहसास होता है। किले का कोना-कोना देखने लायक है। नीमराना किला अरावली के पहाड़ों पर घोड़े के नाल जैसा है। ऐसी शेप वाला यह दुनिया का सबसे पुराना पहाड़ है।
नीमराना में टूरिस्ट्स के लिए ज्यादा कुछ करने लायक नहीं है। किला घूमने-फिरने में ही मज़ा आ जाता है। फिर भी, अगर बाहर निकलने का मन करे, तो किले के गेट के बाहर कच्चा रास्ता सड़क तक ले जाता है। यही सड़क ऐतिहासिक बावली तक ले जाती है। बावली कोई मामूली नहीं है-11 मंजिल नीचे है। केवल आखिरी 2 मंजिल तक ही पानी है। राजस्थान के इतिहास के पन्नों पर दर्ज है कि बावली का निर्माण 1700 में हुआ था। करीब 170 सीढ़ियां उतर कर पानी तक पहुंचते हैं।
आसपास है सिलीसेढ़ लेक
नीमराना के साथ-साथ भरतपुर की सैर भी की जा सकती है। हालांकि विनय विलास महल, बाला किला, सरिस्का टाइगर रिजर्व, केसरोली और सिलीसेढ़ झील काफी नजदीक हैं। अलवर से सरिस्का टाइगर रिजर्व केवल 36 किमी दूर है। अलवर से ही सिलीसेढ़ झील का रास्ता महज चंद मिनट का है। सिर्फ 13 किलोमीटर दूर है। सिलीसेढ़ झील की खूबसूरती यह है कि तीन तरफ से अरावली पहाड़ियों से घिरी है। झील है खासी लंबी-चौड़ी। सारा साल जलमग्न रहती है। इतना पानी है कि अलवर और इर्द-गिर्द के सभी गांवों को पीने का पानी मुहैया करती है।