राजनीति

जानिए, कैसे हुआ देश के राष्ट्रपतियों का चुनाव, हर बार कैसे बने जीत के समीकरण

देश में राष्ट्रपति चुनावों का बिगुल बज चुका है और अगली 20 जुलाई को देश को अपना नया राष्ट्रपति भी मिल जाएगा, भाजपा नेतृत्व वाले राजग ने रामनाथ कोविंद के रूप में अपने उम्‍मीदवार की घोषणा कर दी है। वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कई अन्य दलों ने भी राजग के फैसले को लेकर नाक भौं सिकोड़नी शुरू कर दी है। ऐसे में संभावना है कि इस पद पर शायद ही आम सहमति की स्थिति बन जाए। हालांकि ये पहला मामला नहीं है राष्ट्रपति चुनावों की शुरूआत से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में खींचतान की राजनीति चलती रही है। यहां तक की पहला चुनाव भी इससे नहीं बच सका था। आइए आपको बताते हैं आज तक हुए राष्ट्रपति के चुनावों के बारे में। देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का चुनाव 1952 को हुआ ‌था। स्‍वतंत्रता सेनानी रहे राजेन्द्र प्रसाद हालांकि इससे पहले ही 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति नियुक्त कर दिए गए थे। वो सबसे लंबे समय तक यानि 12 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे। पहले चुनाव में राजेन्द्र प्रसाद को लेकर प्रधानमंत्री नेहरू और गृहमंत्री सरदार पटेल में ठन गई थी। हालांक‌ि बाद में मामला सर्वसम्मति से ही निपट गया। 

आंध्रा यूनिवर्सिटी और बीएचयू के कुलपति रहे सर्वापल्ली राधाकृष्‍णन 13 मई 1962 को देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। राधाकृष्‍णन इस पद पर चुने जाने से पहले दस साल तक देश के उपराष्ट्रपति रहे थे। राधाकृष्‍णन ने इस पद पर सबसे ज्यादा लगभग साढ़े पांच लाख मतों से जीत दर्ज की। उनके विरोधी हरी राम को मात्र 6341 वोट ही मिल सके ‌थे।
 

देश के तीसरे राष्ट्रपति रहे जाकिर हुसैन भी उपराष्ट्रपति से इस पद तक पहुंचे थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे जाकिर हुसैन 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक इस पद पर रहे। वह सबसे कम समय तक पद पर रहने वाले राष्ट्रपति बने उनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान ही हो गई थी। हुसैन ने इस चुनाव में पूर्व मुख्य न्यायाधीश कोका सुब्बाराव को हराया था।  

जाकिर हुसैन की असमय मौत के बाद इस पद को लेकर खूब खींचतान हुई। पहले उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया लेकिन इसी बीच यह भनक लगती देख कि उन्हें पूर्णकालिक राष्ट्रपति का पद नहीं दिया जाएगा गिरिअपने पद से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए। 24 अगस्त 1969 को वह देश के चौथे राष्ट्रपति चुने गए। इस पद पर आने से पहले गिरी  श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त और केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके थे।
 

फखरुद्दीन अली अहमद देश के दूसरे मुस्लिम और कुल पांचवे राष्ट्रपति चुने गए। 24 अगस्त 1974 को देश के छठे राष्ट्रपति चुने गए फखरुद्दीन अली की मौत भी उनके कार्यकाल के दौरान हो गई थी। फखरुद्दीन इमरजेंसी के दौरान भी राष्ट्रपति रहे। कार्यकाल के दौरान ही 11 फरवरी 1977 को उनकी मौत हो गई थी।
 

आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे नीलम संजीवा रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति चुने गए। वह आंध्र प्रदेश से पूर्व जनता पार्टी के लिए चुने गए एकमात्र सांसद थे, इसके बाद वह लोकसभा अध्यक्ष बने। जहां से उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्‍मीदवार बनाया गया, 25 जुलाई 1977 को वह देश के राष्ट्रपति चुने गए।
 

स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल जाने वाले रामास्वामी वैंकटरमन को ज्ञानी जैल सिंह के बाद 25 जुलाई 1987 को देश का आठवां राष्ट्रपति बनाया गया। इससे पूर्व वह केंद्रीय वित्त और उद्योग मंत्री के अलावा रक्षामंत्री भी रह चुके थे। 
 

आर वेंकटरमन के बाद शंकर दयाल शर्मा देश के नौंवे राष्ट्रपति चुने गए। शंकर दयाल लगातार ऐसे तीसरे राष्ट्रपति रहे जो मुख्यमंत्री के पद से यहां तक पहुंचे थे। एमपी के पूर्व सीएम रहे शंकर दयाल शर्मा बाद में केंद्र सरकार में संचार मंत्री भी रहे। उन्हें आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र का राज्यपाल भी बनाया गया। 
 

शंकर दयाल शर्मा के बाद उप राष्ट्रपति रहे केआर नारायणन यानि कोचरिल रमन नारायणन को देश का अगला राष्ट्रपति बनाया गया। नारायण वरिष्ठ राजनयिक रहे थे, उन्होंने थाइलैंड, तुर्की, चाइना और अमेरिका में भारत के राजदूत का पद संभाला था। उन्होंने विज्ञान और कानून में डॉक्टरेट की डिग्री भी पाई। सेवानिवृत्ति के बाद वह देश के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद पर भी रहे। केरला के रहने वाले नारायण जेएनयू के कुलपति भी बने। वह देश के पहले दलित राष्ट्रपति थे।
 25 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति चुने गए प्रसिद्ध वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम को भारत में परमाणु कार्यक्रमों का जनक माना जाता है। देश की सामरिक ताकत को मजबूत करने में उनका अहम योगदान रहा। अपनी विशिष्ट कार्यशैली के चलते पीपुल्स प्रजीडेंट के तौर पर पहचाने गए कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने शादी नहीं की।

 

25 जुलाई 2007 को देश की 12वीं और पहली महिला राष्ट्रपति बने प्रतिभा पाटिल इससे पहले राजस्‍थान की राज्यपाल थीं। 
 

25 जुलाई 2012 को देश के 13वें राष्ट्रपति चुने गए प्रणब मुखर्जी इससे पहले कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकारों में कई पदों पर रह चुके थे। वह कांग्रेसनीत सरकार में विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे पदों पर रह चुके थे। वह योजना आयोग के अध्यक्ष भी रहे।
 
 

Related Articles

Back to top button