जानिए मरने के बाद कौन बनता है भूत और किसकी भटकती है आत्मा
जो व्यक्ति भूखा, प्यासा मरता है, सम्भोग सुख से वंचित रहकर मरता है, गुस्सा, लोभ, वासना आदि लेकर मरता है वह निश्चित तौर पर भूत बन कर भटकता रहता है। जो इंसान एक्सीडेंट में, आत्महत्या करके या जिसकी हत्या की गयी हो ऐसे लोग भी भूत बनकर भटकते रहते है। ये भूत प्रेत हमेशा भटकते रहते है इन्हें शांति नहीं मिलती है इन्हें खाने और पीने की बहुत इच्छा और लालसा रहती है लेकिन इन्हें तृप्ति नहीं मिल पाती है। ये किसी घर में या जंगलों में भटकते रहते है और मुक्ति दिलाने वाली की खोज करते रहते है।
कहते है भूत ज्यादा शोर, उजाले आदि से दूर रहते है ये ज्यादा उन स्थानों में रहना पसंद करते है जहाँ से इनके जीवन काल में ज्यादा सम्बन्ध रहा हो या तो फिर किसी एकांत स्थान पर जहाँ ज्यादा कोई आता जाता ना हो।
भूत की ताकत : भूत प्रेत अदृश्य होते है यानी दिखाई नहीं पड़ते है, ये शरीर रहित होते है क्योंकि ये प्रायः वायु समेत 16 तत्वों से बने होते है। जिन भूतों को अपनी इस शक्ति का पता होता है वे इसे इस्तेमाल करना जानते है। कुछ भूतों को दूसरों को टच करने की शक्ति होती है और कुछ को नहीं होती। जिनकों होती है वे बड़े से बड़े पेड़ और खम्बों को भी उखाड़ कर फैंक सकते है। अगर ये बुरे भूत हुए तो बहुत ही खतरनाक साबित होते है। ऐसे भूत किसी भी इंसान को अपने होने का अहसास करवा सकते है। इतना ही नहीं ऐसे बुरे भूत किसी की मानसिक स्तिथि से खेल कर उससे कुछ भी करवा सकते है इतनी ताकत रखते है। इनपर गोली, तलवार, डंडे का असर नहीं होता है क्योंकि ये वायु जैसे तत्वों से बने होते है
अच्छी और बुरी आत्माएं दोनों ही ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ती कर सके। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वाले की तलाश करती है उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है और तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है। अधिकतर लोगों को इस बात का पता ही नहीं चल पाता है। बुरी आत्माएं बुरे इंसान के माध्यम से तृप्त होकर उसे और बुराई, कुकर्म करने के लिए प्रेरित करती है और उस इंसान को पता ही नहीं चल पाता की कोई दूसरी शक्ति उसपर राज कर रही है और उसे बुरे कर्मों में लिप्त कर रखा है।
इसीलिए धार्मिक होना, भगवान् की पूजा पाठ आदि में लिप्त होना जरूरी है ऐसा बताया गया है ताकि आपका मन, गुण आपके कर्म पवित्र और साफ़ हो। तभी आप ऐसी आत्माओं से बचे रह सकते है।