यह भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग कहते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। शिवलिंग की ऊंचाई तक के दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाए जाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न शुरुआत थी और न ही अंत था। जो अनादि और अनंत था। महाशिवरात्रि को पूरी रात लोग जागरण करते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध चढ़ाते हैं। भावविभोर होकर लोग शिवजी की शादी का उत्सव मना रहे होते हैं। महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

यह भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग कहते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। शिवलिंग की ऊंचाई तक के दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाए जाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न शुरुआत थी और न ही अंत था। जो अनादि और अनंत था। महाशिवरात्रि को पूरी रात लोग जागरण करते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध चढ़ाते हैं। भावविभोर होकर लोग शिवजी की शादी का उत्सव मना रहे होते हैं। महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

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