जीएसटी विधेयक लोकसभा में पारित, कांग्रेस का वाकआउट
नई दिल्ली : अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में नई व्यवस्था लागू करने वाले लंबे समय से लटके वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को कांग्रेस के वॉकआउट के बीच बुधवार को लोकसभा ने पारित कर दिया। केन्द्र ने इस नई कर व्यवस्था के लागू होने पर राज्यों को राजस्व में होने वाले किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया और कहा कि जीएसटी दर विशेषज्ञ समूह द्वारा सुझाई गई 27 प्रतिशत की दर से काफी नीचे होगी। जीएसटी व्यवस्था को लागू करने के लिये संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने 37 के मुकाबले 352 मतों से पारित कर दिया। इससे पहले सरकार ने विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया था। जीएसटी का प्रस्ताव पहले पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने तैयार किया था। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर मतदान के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा में उपस्थित नहीं थे। विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान कई संशोधन दिये लेकिन सदन में सभी को नकार दिया गया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और बीजू जनता दल के बी महताब ने वित्त मंत्री के आश्वासन के बाद अपने कुछ संशोधन आगे नहीं बढ़ाये। अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र की नई व्यवस्था जीएसटी को एक अप्रैल 2016 से लागू करने का प्रस्ताव है। जीएसटी में केन्द्र और राज्यों में लगने वाले सभी अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर दिया जायेगा। इसमें केन्द्र के उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) प्रवेश कर, चुंगी तथा अन्य राज्य स्तरीय कर समाहित होंगे। कांग्रेस के सदन से बाहर जाने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये कहा कि अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सुधार लाने वाला यह प्रस्ताव पिछले 12 साल से लटका पड़ा है और उनके पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने भी संप्रग सरकार के शासन काल में इसे पेश किया था।