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जूनो आज बृहस्पति पर पहुंचेगा, कर चूका है पांच साल का लंबा सफर तय

juno-spacecraft-650_650x400_81466152523नई दिल्ली: सोमवार को अंतरिक्ष में एक अनोखी घटना घटित होने जा रही है। अंतरिक्ष वैज्ञानियों के लिए यह इस साल की सबसे बड़ी घटना है। अगर सब वैज्ञानिक अनुमान ठीक रहा तो पांच साल का इंतजार खत्म होगा, क्योंकि तकरीबन इतनी लंबी अवधि का सफर पूरा कर जूनो अंतरिक्ष यान 4 जुलाई को बृहस्पति ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पांच अगस्त, 2011 को इस अभियान का आगाज करते हुए जूनो को गहरे अंतरिक्ष में बृहस्पति ग्रह तक भेजने के लिए लांच किया।

मिशन का मकसद
1.1 अरब डॉलर के इस अभियान का मकसद बृहस्पति के विकिरण बेल्ट में प्रवेश करते हुए इस ग्रह का अध्ययन एवं विश्लेषण करना है। बृहस्पति को सबसे पुराना ग्रह माना जाता है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में 300 गुना अधिक है। इसलिए इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र अत्यंत प्रबल है। जिसके कारण यह इस पर मौजूद सभी सामग्रियों को धारण किए हुए है। इससे हमारी शुरुआती सौर तंत्र के विषय में जानकारी मिल सकती है और इस तरह इसके अध्ययन से हमारे सौर तंत्र के उद्विकास के विषय में जानकारी मिल सकती है। यह इसके वातावरण में जल की उपस्थिति का पता लगाने का भी प्रयास करेगा।

जूनो के बारे में
यह टेनिस कोर्ट के आकार का अंतरिक्ष यान है। इसका भार तकरीबन साढ़े तीन टन है। जूनो के समक्ष चुनौती बृहस्पति ग्रह के भयानक बादलों को घेरे हुए इसके विकिरण बेल्ट में सही दशा-दिशा में बने रहने की है। यह इस मिशन का सबसे खतरनाक बिंदु है। इस पोलर ऑर्बिट से सफलतापूर्वक गुजरने के बाद ही इसकी सफलता के प्रति आशान्वित हुआ जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इस अभियान से 20 साल पहले 1996 में गेलेलियो मिशन को बृहस्पति पर भेजा गया था।

बृहस्पति ग्रह के बारे में
इस ग्रह का औसतन तापमान -145 डिग्री सेल्सियस रहता है। इसको सूर्य की परिक्रमा करने में 12 साल का समय लगता है। इसके चार बड़े और 60 छोटे आकार के चंद्रमा हैं। यह पृथ्वी की तुलना में 11 गुना अधिक बड़ा है। इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 20 हजार गुना अधिक शक्तिशाली है।

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