ज्ञान भंडार
झारखंड का वो गांव जहां बेटियां ही उसकी पहचान हैं!
झारखंड के एक आदिवासी गांव में जब आप किसी व्यक्ति का पता पूछते हैं तो लोग उस परिवार की बेटी का नाम बताते हुए घर दिखा देते हैं। झारखंड में लौहनगरी जमशेदपुर से 26 किलोमीटर दूर तिरिंग गांव की पहचान अचानक से बदल गई है।
वहां घरों में मिट्टी की दीवारों पर टंगे नेम प्लेट पर पूजा, चांदनी, सुजला, फूलमनी, पायल, टुसू के नाम देखकर चौंकने की ज़रूरत नहीं है। दरअसल, महिला सशक्तीकरण को लेकर देश के कई हिस्सों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चल रहा है, लेकिन तिरिंग गांव में ‘मेरी बेटी, मेरी पहचान’ अभियान चलाया जा रहा है।
नेम प्लेट पर लड़कियों के नाम के साथ उनकी मां के नाम भी लिखे गए हैं। इस सरकारी अभियान को जमशेदपुर के डिप्टी कलेक्टर संजय कुमार चला रहे हैं जो ज़िला जनसंपर्क अधिकारी का काम भी देख रहे हैं।
आदिवासी बहुल 90 घरों वाला तिरिंग राज्य का पहला गांव है जहां घरों की पहचान बेटियों के नाम से होने लगी है, यहां के लोग खेती-मजदूरी करते हैं। आदिवासी परंपरा के तहत अधिकतर घरों की दीवारें की पुताई विभिन्न रंगों से की गई हैं।
नेम प्लेट में पीले रंग की पट्टी पर नीले रंग से लड़कियों के नाम लिखे हैं। संजय कुमार बताते हैं कि रंगों के चयन के पीछे ख्याल यह था कि पीला रंग प्रकाश, ऊर्जा और आशावाद का प्रतीक है, तो नीला रंग बेटियों को उड़ान भरने और आसमान छूने का हौसला देता है।