नई दिल्ली: वर्ष 1984 के सिख विरोधी हिंसा के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। कोर्ट ये तय कर सकती है कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले की जांच बंद होगी या सीबीआई आगे जांच जारी रखेगी। अकाली दल ने कोर्ट में रेशम सिंह, आलम सिह और चंचल सिंह आदि नाम गवाहों के नाम देकर जांच कराने की मांग की थी।
इससे पहले सीबीआई ने क्लोजररिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि उसे कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन 17 नवंबर को तब नया मोड़ आया जब सीबीआई ने कोर्ट में फिर से जवाब दाखिल करके कहा कि वह मामले की फिर से जांच करने को तैयार है। इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने 30 अक्टूबर को सीबीआई और पीडितों की बहस सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पीडि़तों ने सीबीआई के टाइटलर को तीन बार क्लीन चिट देने के मामले में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की थी। उनका कहना है कि इस मामले में टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद सीबीआई उन्हें बचा रही है। शिकायतकर्ता लखविंदर कौर ने अपनी याचिका में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है और कोर्ट से मांग की है कि वो सीबीआई को आगे जांच करने को कहकर सारा रिकॉर्ड उपलब्ध कराए। जबकि सीबीआई का कहना है कि उसकी जांच में साफ हो चुका है कि टाइटलर की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। सीबीआई ने ये भी कहा है कि सिर्फ आरोपों और भावनाओं के आधार पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
गवाह को प्रभावित करने के मामले में जांच की मांग
हालांकि पीडि़तों ने कोर्ट से टाइटलर के खिलाफ गवाह को प्रभावित करने और हवाला के जरिए रुपये भेजने पर FIR दर्ज कर जांच के आदेश देने की मांग भी की है। दूसरी ओर, सीबीआई का कहना है ये दावा हथियारों के डीलर अभिषेक वर्मा ने किया था और उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ऐसे में टाइटलर के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
दिल्ली के पुल बंगश क्षेत्र का है मामला
कोर्ट में चल रहा यह मामला दिल्ली के पुल बंगश का है। 1 नवंबर 1984 को यहां गुरद्वारे में बादल सिह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें टाइटलर को आरोपी बनाया गया लेकिन बाद में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। हालांकि 2007 में कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को नामंजूर करते हुए सीबीआई को जांच के आदेश जारी किए थे। हालांकि टाइटलर ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया है।