टीम इंडिया की जर्सी पर अब ओपो नहीं, बायजूस का नाम दिखेगा…
बीसीसीआई ने गुरुवार को घोषणा की कि भारतीय क्रिकेटर सितंबर से अपनी आधिकारिक जर्सी पर नया ब्रैंड पहनकर खेलेंगे, क्योंकि चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी ओपो ने प्रायोजन अधिकार ‘ऑनलाइन ट्यूटोरियल फर्म’ बायजूस को स्थानांतरित कर दिए हैं। बीसीसीआई ने बयान में कहा, ‘बायजूस मौजूदा टीम प्रायोजक ओपो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से सारे अधिकार हासिल कर लेगा।’
बीसीसीआई ने कहा, ‘बीसीसीआई को भारत के शीर्ष शिक्षा और लर्निंग ऐप बायजूस को पांच सितंबर 2019 से 31 मार्च 2022 तक आधिकारिक टीम इंडिया प्रायोजक बनने का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है।’ बीसीसीआई और ओपो के बीच 1079 करोड़ रुपये का पांच साल का करार 2017 में हुआ था। विराट कोहली और उनकी टीम 15 सितंबर से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आगामी घरेलू सत्र में नए ब्रैंड के नाम वाली जर्सी पहनेगी।
एक सूत्र ने कहा कि यह स्थानांतरण तीन पक्षों ओपो, बेंगलुरु के बायजूस और बीसीसीआई के बीच करार है। मार्च 2017 में ओपो ने भारतीय टीम की पोशाक संबंधित पांच साल के प्रायोजन अधिकार के लिए विवो मोबाइल की 768 करोड़ रुपये की बोली को पछाड़ दिया था। इस करार के अंतर्गत ओपो प्रत्येक द्विपक्षीय मैच के लिए बीसीसीआई को 4.61 करोड़ रुपये और आईसीसी टूर्नमेंट मैच के लिए 1.56 करोड़ रुपये दे रहा था।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रायोजन संबंधित किसी भी स्थानांतरण में रुचि लेने वाले पक्षों को समझौते की शर्तों के बारे में बीसीसीआई को सूचित करना होता है। बायजूस और ओपो ने इसी के अनुसार अपनी चर्चा के बारे में बता दिया है। बीसीसीआई को इससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा क्योंकि नयी कंपनी पुरानी कंपनी जितनी ही राशि का भुगतान करेगी।’
उन्होंने कहा, ‘बीसीसीआई में एक धारा ऐसी है जो प्रायोजन करार के स्थानांतरण को अनुमति देती है। इसमें एक गोपनीयता संबंधित उपबंध है कि वित्तीय समझौते के बारे में बात नहीं की जा सकती।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इस स्थानांतरण से बोर्ड को फायदा भी हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘अगर प्रायोजन संबंधित स्थानांतरण होता है तो बीसीसीआई को फायदा ही होगा। इसमें करार करने वाले दोनों पक्षों को आपस में मिलकर 10% अतिरिक्त भुगतान करना होगा और छह महीने का नोटिस भी देना होगा।’ बीसीसीआई ने हालांकि अपने बयान में करार के वित्तीय पहलू का खुलासा नहीं किया।