टेरर फंडिंग पर सख्त एक्शन नहीं लेने पर किया जा सकता है प्रतिबंधित, एफएटीएफ की पाक को चेतावनी
वाशिंगटन : आतंकवाद मामले में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से बचाने में चीन अपने दोस्त की मदद कर रहा है। एक बार फिर से चीन ने पाकिस्तान को फायनांशियल एक्शन टास्क फोर्स के तहत ब्लैकलिस्ट होने से बचा लिया है। दरअसल पाकिस्तान को आतंकवाद मामले में पहले से ही ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है और इस बीच उसे आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए 18 महीने की मोहलत दी गई थी, लेकिन अभी तक वह इसमें नाकाम साबित हुआ है। इस पर अब पाकिस्तान को अक्टूबर तक का समय दिया गया है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निर्देश दिया है कि इस दौरान वह टेरर-फंडिंग पर कार्रवाई करे। इसी के साथ एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर उसने टेरर-फंडिंग और आतंकी ट्रेनिंग कैंपों पर कड़े कदम नहीं उठाए तो उसे अक्टूबर में ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। एफएटीएफ की बैठक अमेरिका में हुई. समूह ने पाकिस्तान को पिछले साल ग्रे लिस्ट में शामिल किया था, जिससे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को हर साल करीब 10 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, भारत पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट होने की उम्मीद कर रहा था। अगर ऐसा होता तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए ये बड़ा झटका होता। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने एक प्रस्ताव पेश कर जून 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। अगर पाकिस्तान को एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट कर देता तो उस पर बहुत बड़े असर पड़ते। ब्लैकलिस्ट होने पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के कर्ज पर भी रोक लगाई जा सकती थी। इसके अलावा कई और बड़ी संस्थाएं भी पाकिस्तान को फंडिंग से मना कर सकती थीं। ऐसे में पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज हो जाता।