अन्तर्राष्ट्रीय

डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग की मुलाकात से क्या टल जाएगा ‘परमाणु युद्ध’ का खतरा?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के कथित तानाशाह किम जोंग उन अगले कुछ दिनों में आमने-सामने मिलने वाले हैं. इन दोनों राष्ट्रों के बीच पिछले काफी समय में चल रहा तनाव परमाणु हमले की धमकी तक पहुंच चुका था, जाहिर है ऐसे में पूरी दुनिया ही आतंकित थी. लेकिन ऐन मौके पर डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग के वार्ता प्रस्ताव को स्वीकार कर यह जताया कि वह भी युद्ध के पक्ष में नहीं, बल्कि शांति चाहते हैं. यही वजह रही कि अक्सर अलग-अलह वजह से विवादों में रहने वाले ट्रंप को वैश्विक समुदाय की सराहना मिली. डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग की मुलाकात से क्या टल जाएगा 'परमाणु युद्ध' का खतरा?

न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय बोर्ड द्वारा प्रकाशित लेख में डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की साथ में होने जा रही बैठक का विश्लेषण किया गया है. लेख में कहा गया है कि ट्रंप को भी कोरिया के लिए वार्ता के दौरान वहीं रुख अपनाना चाहिए जो कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के लिए अपनाया था. दोनों नेताओं की वार्ता पर हालांकि संशय बना हुआ है और इसकी सफलता और असफलता के कयास भी लगाए जा रहे हैं. फिर भी इसका फायदा डोनाल्ड ट्रंप को मिलना तय है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब तक के कार्यकाल के दौरान एक निश्चित अंतराल पर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन का मजाक उड़ाते रहे हैं. वहीं किम जोंग भी ट्रंप को धमकी से बाज नहीं आते और हमेशा ही अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की बातें करते हैं. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप से मुलाकात करने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन दोनों देशों के बीच वार्ता में सेतु का काम दक्षिण कोरिया और वहां के राष्ट्रपति ‘मून जाए इन’ ने शीतकालीन ओलंपिक के दौरन किया.  

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, ‘वार्ता का न्योता स्वीकार कर ट्रम्प प्रोत्साहन के हकदार हैं और निश्चित ही उनके इस फैसले की सराहना होनी चाहिए, जो उन्होंने अपने विरोधी किम जोंग-उन का न्योता स्वीकारा. इसे उनके श्रेष्ठ फैसलों में से एक कहना उचित है.’ इसके साथ ही लेख में इसे बड़ी उपलब्धि का अवसर करार दिया गया है और कहा गया है कि अमेरिका को चाहिए कि वह इसका अधिक से अधिक फायदा उठाना चाहिए.

अखबार के मुताबिक इस मुलाकात के 3 अहम बिन्दू हो सकते हैं 
कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया अपना परमाणु कार्यक्रम बंद कर सकता है, लेकिन बदले में वह अपने देश की सुरक्षा का वादा मांग सकता है. संभव है कि वह भविष्य में परमाणु मिसाइल परीक्षण न करने और अमेरिका-दक्षिण कोरिया के आगामी संयुक्त सैन्य अभ्यास में आपत्ति नहीं लेने का वादा कर दे. 

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा- हम केवल बातचीत के इरादे से नहीं जाएंगे, राष्ट्रपति ट्रम्प की छवि ‘डील करने वाली हस्ती की भी है’. इसी तरह, किम जोंग उन के पास फैसले करने की शक्तियां हैं और संभव है कि वे अतीत भुलाकर नए युग में प्रवेश कर जाएं. 

कुछ विशेषज्ञों को आशंका है कि किम जोंग-उन शायद ही अपने परमाणु हथियारों का त्याग करें. 1994 में बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति कार्यकाल में उत्तर कोरिया ने प्लूटोनियम कार्यक्रम रद्द कर दिया था, बदले में भारी मात्रा में ईंधन प्राप्त किया था. जॉर्ज डब्ल्यू बुश का कार्यकाल में वह डील खत्म हो गई थी. 

 

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