अद्धयात्म

तन आैर मन के लिए चरण स्पर्श क्यों है लाभदायक?

feet00-1448440043चरण स्पर्श (अभिवादन) करना जहां नैतिक आचरण की शुद्धि का परिचायक है, वहीं यह एक प्रकार से योग भी है। इससे पूरे शरीर और मन का आरोग्य बना रहता है। अथर्ववेद में मानव जीवन की आचार संहिता का एक खंड ही है, जिसमें व्यक्ति की प्रात: कालीन प्राथमिक क्रिया के रूप में नमन को प्राथमिकता दी गई है। 

चरण स्पर्श (अभिवादन) करना जहां नैतिक आचरण की शुद्धि का परिचायक है, वहीं यह एक प्रकार से योग भी है। इससे पूरे शरीर और मन का आरोग्य बना रहता है। अथर्ववेद में मानव जीवन की आचार संहिता का एक खंड ही है, जिसमें व्यक्ति की प्रात: कालीन प्राथमिक क्रिया के रूप में नमन को प्राथमिकता दी गई है।

वेद में गुरु देवो भव, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव- आदि सूत्रों में सबको दंडवत प्रणाम व चरण स्पर्श करने को कहा गया है। ऐसा करने से वरिष्ठजनों के आशीर्वाद के साथ-साथ ऊर्जा और देव बल की प्राप्ति होती है। वेदों में चरण स्पर्श को प्रणाम करने का विधान माना गया है।

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