नई दिल्ली : हवाईअड्डा या चारबाग जाने के लिए दिनभर जाम से जूूझने वाले राजधानीवासियों को राहत मिल सकती है। ऐसा लखनऊ मेट्रो के रेडलाइन पर मुंशीपुलिया से एयरपोर्ट के बीच 23 किमी का कॉमर्शियल रन जल्द शुरू करने के बाद होगा। इससे केवल 40 मिनट में मुंशीपुलिया से एयरपोर्ट बिना जाम में फंसे पहुंचा जा सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनवरी की शुरुआत में ही पूरे रूट पर मेट्रो को हरी झंडी दिखाने के निर्देश के बाद यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन “यूपीएमआरसी” के अधिकारियों ने भी प्रोजेक्ट पूरे करने के समय का आकलन शुरू कर दिया है| मेट्रो के एमडी कुमार केशव का कहना है, कि पांच सितंबर को लखनऊ मेट्रो दिवस के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद हमने प्रोजेक्ट का आकलन शुरू कराया है। अभी तीन सेक्शन में काम चल रहा है। इसमें एयरपोर्ट स्टेशन, चारबाग से हजरतगंज तक भूमिगत सेक्शन और केडी सिंह बाबू स्टेडियम से मुंशीपुलिया एलीवेटिड सेक्शन शामिल है। देखा जा रहा है, कि हम तय समय से कितना पहले चल रहे हैं। एक अप्रैल की तय तारीख से कितना पहले प्रोजेक्टों को पूरा कर लेंगे, यह कहना अभी मुश्किल होगा। कुछ दिन में हम नई तारीख तय करने की स्थिति में होंगे| जनवरी में एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच कॉमर्शियल रन शुरू करने के लिए यूपीएमआरसी को दिसंबर में काम पूरे करने होंगे। सितंबर को भी शामिल कर लिया जाए तो भी तीन महीने से थोड़ा अधिक समय ही मेट्रो अधिकारियों के पास होगा। अधिकारियों का दावा है, कि तीनों सेक्शन में करीब 90 प्रतिशत तक सिविल वर्क पूरा हो चुका है। निदेशक सिविल वर्क्स संजय मिश्रा ने बताया, कि भूमिगत सेक्शन में स्टेशनों को तैयार किया जाने लगा है। अक्तूबर तक यहां यात्री सुविधाएं विकसित कर ली जाएंगी। एलीवेटिड सेक्शन पर भी तेजी से काम पूरे किए जा रहे हैं। बादशाहनगर रेलवे लाइन के ऊपर मेट्रो को निशातगंज चौराहे के पास स्पेशल स्पान बनाना है। इसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी है। अब रेलवे की अनुमति और आयुक्त रेलवे संरक्षा की एनओसी चाहिए। आयुक्त रेलवे संरक्षा की आपत्तियों का जवाब अब लखनऊ मेट्रो रेलवे के माध्यम से भेज रहा है। इस एनओसी में जितना अधिक समय लगेगा, काम पूरा करने में उतना ही वक्त लगेगा। कुकरैल पुल के ऊपर से मेट्रो लाइन गुजरनी है। यहां भी स्पान बनाया जा रहा है। गर्डर रखने को मेट्रो को नाले में अपनी क्रेन उतारनी होगी। नाले में पानी का बहाव अभी तेज होने से मेट्रो और कार्यदायी संस्था के अधिकारी सुरक्षा कारणों के चलते ऐसा करने से बच रहे हैं। मेट्रो को इंतजार है, कि पानी का बहाव कम हो तो नाले में क्रेन उतारी जाए। बहाव की वजह से क्रेन का संतुलन काम करते समय बिगड़ा तो हादसा की आशंका रहेगी। वहीं, यहां तक पहुंचने को बनने वाली सुरंग भी बिना टीबीएम का उपयोग किए बन रही है। एयरपोर्ट के सुरक्षा नियमों के चलते कई तरह के प्रतिबंध के साथ यहां मेट्रो को काम करना होता है। ऐसे में यहां काम तेजी से नहीं हो पा रहा है। अगर यह स्टेशन पूरा नहीं बन पाता है तो अमौसी से ही मुंशीपुलिया तक ट्रेन चलाने का फैसला लेना होगा। जबकि इन जगहों पर मेट्रो को सफलता मिल चुकी है, गोमती नदी में स्पेशल स्पान का काम अंतिम चरण में, आईटी चौराहे पर कर्व वाला स्पान तैयार। होटल क्लार्क अवध के पास सड़क के ऊपर स्पान बन चुका है, पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर के ऊपर ट्रैक बनना शुरू, हैदर कैनाल के नीचे होते हुए भूमिगत सेक्शन में सुरंग बनाने का काम पूरा, अमौसी स्टेशन का निर्माण मेट्रो पहले ही पूरा कर चुका है| हम एक अप्रैल 2019 की तय तारीख से पहले ही मेट्रो को एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच चलाने की कोशिश में हैं। आकलन शुरू कर दिया है, कि इसे कितना जल्दी किया जा सकता है। इसके लिए काम तेज करने से लेकर बाकी दिक्कतों के समाधान तलाश करने के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है।
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