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तहसीलदार के कपड़े फाड़ थे, मारपीट के मामले में एमएलए बैंस, कड़वल समेत 9 पर आरोप
लुधियाना: 19 जून 2009 को सेंट्रल हलके के तहसीलदार मेजर गुरजिंदर सिंह बैनीपाल पर हुए जानलेवा हमले के मामले में स्थानीय अदालत ने एमएलए सिमरजीत सिंह बैंस, कंंवलजीत सिंह कड़वल समेत 9 आरोपियों पर इरादा-ए-कत्ल अन्य धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए हैं। वहीं, कड़वल के खिलाफ अलग से उपरोक्त के बिना आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत चार्ज फ्रेम हुए हैं। जहां बैंस आत्मनगर हलके के एमएलए हैं वहीं, हमले के मामले में उनके सहआरोपी कड़वल ने आत्मनगर से पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेसी की टिकट पर लड़ा था। एडिशनल जिला सेशन जज सोनिया किनरा की अदालत में चार्ज फ्रेम होने के समय सभी आरोपी मौजूद रहे। ये था पूरा मामला…
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गौर हो कि मेजर बैनीपाल मौजूदा वक्त जिला रेवेन्यू अफसर हैं। उनके बयान पर पुलिस ने बैंस, कड़वल और अन्य आरोपियों पर पर्चा दर्ज किया था। इसमें आईपीसी की धाराएं 353, 333, 307, 148, 149 और 120-बी लगाई थी। जबकि आरोपी कड़वल के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा भी जोड़ी गई थी। अब अदालत ने इन सभी धाराआें के तहत ही आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए हैं। इसी चार्जशीट के तहत आगे आरोपियों पर अदालत में केस चलेगा। चार्ज फ्रेम होने पर आरोपियों ने अदालत में खुद को बेकसूर बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही।
इस केस में आरोपियों पर लगी जानलेवा हमले की धारा 307 के तहत अदालत 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा सुना सकती है। इसी प्रकार, धारा 333 के तहत 10 साल, धारा 353 में 2 साल तक, धारा 148-149 में 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।
एसआईटी की दूसरी जांच जिन 8 प्वाइंट्स पर हुई, स्थानीय अदालत में उन पर गौर नहीं किया। लिहाजा मेरी आेर से इंसाफ पाने के लिए हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। मुझ पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। -कंवलजीतसिंह कड़वल (आरोपी)
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मामले में पर्चे के बाद आईजी ने एसआईटी बनाई। इस टीम ने जांच रिपोर्ट भी सौंप दी थी।
एडीजीपी क्राइम ने 19 अक्टूबर, 2009 को दूसरी एसआईटी बनाई। इसमें 8 पॉइंट्स के इर्दगिर्द जांच के आदेश हुए। इसके खिलाफ बैनीपाल ने हाईकोर्ट में रिट लगाई। कोर्ट ने दूसरी एसआईटी की जांच इललीगल बताई।
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपी बैंस ने सुप्रीम कोर्ट में रिट लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए तो सीबीआई ने जांच कर रिपोर्ट पेश की। हर केस में एक कानूनी प्रक्रिया होती है, वह इस मामले में भी चली। इस मामले में आरोप तय होने के बाद उम्मीद की किरण जगी है। यह भरोसा भी हुआ कि अब ये केस अंजाम तक जरूर पहुंचेगा। बाकी फैसला माननीय अदालत को करना है। -जीएसबैनीपाल, शिकायतकर्ता