तीन तलाक संशोधन को कैबिनेट ने दी मंजूरी, अब सिर्फ मजिस्ट्रेट देंगे जमानत
नई दिल्ली : कैबिनेट ने तीन तलाक संशोधन को मंजूरी दे दी है। तीन तलाक देना अब गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल हो गया है और सिर्फ मजिस्ट्रेट ही इसमें जमानत दे सकता है, इतना ही नहीं पीड़ित महिला के ब्लड रिलेटिव्स भी तीन तलाक की एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) के दोषी व्यक्ति को जमानत देने के प्रावधान को विधेयक में जोड़ने की मंजूरी दे दी। एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी बना रहेगा और इसके लिए पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दे दी थी, यह राज्यसभा में लंबित है जहां सरकार के पास संख्याबल कम है, विपक्षी दलों की मांगों में से एक इस विधेयक में जमानत का प्रावधान जोड़ना भी शामिल था।
गौरतलब है कि तीन तलाक रोधी बिल को पिछले साल दिसम्बर में लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बीच पारित कर दिया गया था, लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। कैबिनेट ने जिन प्रावधानों को मंजूरी दी है उनके अंतर्गत तीन तलाक़ मामले में अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकेंगे। प्रस्तावित कानून केवल तलाक-ए-बिद्दत पर ही लागू होगा। इसके तहत पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे भत्ते की मांग को लेकर मजिस्ट्रेट के पास जा सकती है। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से बच्चों को अपने संरक्षण में रखने की मांग कर सकती है, इस मुद्दे पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट लेगा।