तुर्की-सीरिया के बीच 72 घंटे से ‘युद्ध’ जारी, वर्ल्ड वॉर-3 की आहट
महायुद्ध वर्ल्ड वॉर 3 (world war 3) की आहट सुनाई देने लगी है. कुर्दों के कब्जे वाले सीरिया (Syria) के इस इलाके में 72 घंटों से महायुद्ध हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय चेतावनी के बावजूद तुर्की (Turkey) समर्थित सीरियाई विद्रोहियों ने कुर्द नियंत्रित पूर्वोत्तर सीरिया में सैन्य आक्रमण कर दिया. हवाई हमले और गोलाबारी से सीरिया के सीमावर्ती इलाके दहल उठे. इस महायुद्ध ने एक ही दिन में 60 हजार से भी ज्यादा लोगों को बेघर कर दिया. विस्थापितों में से अधिकतर लोग पूर्वी हसाकेह शहर की ओर बढ़ रहे हैं. तुर्की और सीरिया के बीच युद्ध का सबसे अधिक प्रभाव सीमावर्ती रास-अल अयिन, ताल अब्याद और देरबशिया में हुआ है.
सीरिया- तुर्की सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में करीब 4 लाख 50 हजार लोग रहते हैं और अगर दोनों पक्षों ने संयम नहीं बरता और नागरिकों की सुरक्षा को अहमियत नहीं दी तो इस इलाके में सिर्फ कब्रगाह ही होगी. अमेरिका ने तुर्की को प्रतिबंधों का डर दिखाया. युद्ध रोकने की कोशिश की लेकिन ऐसा हो न सका.
ट्रंप की धमकी के बावजूद युद्ध जारी
दरअसल, पिछले रविवार अमेरिका ने सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की और उसी घोषणा के बाद तुर्की ने सीरिया पर आक्रमण कर दिया. हालात वर्ल्ड वॉर जैसे हो रहे हैं. ट्रंप, का कहना था कि तुर्की और कुर्द की लड़ाई सदियों पुरानी है हम वहां से बाहर आ चुके हैं, मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका बहुत ताकतवर हुआ है, अगर तुर्की ऐसा कुछ करता है, जो उसे नहीं करना चाहिए, तो हम उनपर ऐसे प्रतिबंध लगाएंगे जो बहुत कम देशों ने पहले देखे होंगे. इधर, दुनियाभर में इस महायुद्ध पर रिएक्शन भी आ रहे हैं. भारत ने तुर्की से सीरिया की संप्रभुता का सम्मान करने की अपील की.
इसके साथ ही भारत ने तुर्की से बातचीत के माध्यम से विवाद हल करने की पैरवी की. वहीं फ्रांस ने सख्त शब्दों में तुर्की को नसीहत दी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों ने कड़े शब्दों में हमले की निंदा की और तुर्की को हद में रहने की नसीहत दी. सीरिया में तुर्की के हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेज़ ने हमले के बाद गहरी चिंता जाहिर की और सीरिया में तुर्की के सैन्य हमले को रोकने की अपील की.
तुर्की ने सीरिया पर अटैक क्यों किया?
तुर्की ने सीरिया पर अटैक क्यों किया? ये भी समझना आपके लिए ज़रूरी हैं. असल में अमेरिका ने कुर्द संगठनों को ISIS के ख़िलाफ़ खड़ा किया था. कुर्द लड़ाकों को प्रशिक्षण से लेकर हथियार तक की मदद दी थी. अब अमेरिका कुर्द संगठनों की मदद नहीं करना चाहता. अब वो सीरिया से निकलना चाहता है जैसे कि अफगानिस्तान से निकला था. एक तरह से अमेरिका ने तुर्की को सीरिया पर हमले के लिए हरी झंडी दिखाई. यानी जब तक अमेरिका का हित था. उसने कुर्द संगठनों का इस्तेमाल किया. इसे आप अमेरिका की यूज एंड थ्रो नीति भी कह सकते हैं लेकिन सीरिया पर आक्रमण करने वाला ये वहीं तुर्की है. जिसने UN में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का साथ दिया था.
यानी तुर्की के राष्ट्रपति ने भारत के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप किया था. उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार के हनन के आरोप लगाए थे और अब तुर्की के राष्ट्रपति सीरिया पर हमला कर रहे हैं लेकिन आज तुर्की खुद दूसरे देश की संप्रुभता का हनन कर रहा है. तुर्की कुर्द लोगों का कत्लेआम कर रहा है. अब तुर्की का मानवाधिकार कहां है.