…तो क्या पाकिस्तान कुछ ही हफ्तों में पूरी तरह हो जाएगा कंगाल!
पाकिस्तान चीन से लगातार कर्ज ले रहा है. ऐसे में पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू इंटरनैशनल मार्केट में लगातार गिर रही है. 1 डॉलर के मुकाबले उसकी कीमत 120 रुपये तक गिर गई है. साथ ही पाकिस्तान में टूरिज्म में आई कमी की वजह से इंटरनैशनल करंसी का भंडार भी लगातार कम हो रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था. साथ ही पाकिस्तान दिन पर दिन कर्ज तले डूबता चला जा रहा है. रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस वित्तीय वर्ष में लिया गया कर्ज करीब 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के कगार पर है. वहीं पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान भुगतान संकट के चलते चीन से 1-2 बिलियन डॉलर यानी करीब 68-135 अरब रुपए का नया लोन लेने जा रहा है. यह इस बात का एक और संकेत है कि पाकिस्तान बीजिंग पर आर्थिक तौर पर किस कदर निर्भर हो चुका है. चीन से लिए गए इस नए लोन का इस्तेमाल पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार की हालत ठीक करने में करेगा.
वहीं फाइनैंशल टाइम्स का कहना है कि विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे उसमें गिरावट आई है. इसके साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ा है और चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है. विश्व बैंक ने अक्टूबर महीने में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि उसे कर्ज भुगतान और करेंट अकाउंट घाटे को खत्म करने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी. पाकिस्तान विदेश में बसे अपने लोगों को ज्यादा पैसे भेजने के लिए खास ऑफर देने की भी तैयारी कर रहा है.
वहीं पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान के एक्सपोर्ट में लगातार कमी आई है. पिछले साल पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डॉलर का रहा था. कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से पाकिस्तान को और ज्यादा आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा अमेरिका के जरिए मदद कम करने की वजह से भी पाकिस्तान की निर्भरता चीन पर बढ़ी है.
वहीं पाकिस्तान में ज्यादातर लोग इनकम टैक्स भी नहीं देते हैं. 2007 में पाकिस्तान में इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हजार हो गई. अभी तक पाकिस्तान ने जितने भी कदम उठाए हैं, वे अपर्याप्त साबित हुए हैं और पाक की अर्थव्यवस्था पर उसका सीमित प्रभाव ही हुआ है. सारी कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है. ऐसे में देखना है कि क्या आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान खुद को कंगाल होने से बचा पाएगा?