अगरतला। त्रिपुरा में बीते 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के किले को बीजेपी ने ढहा दिया। देष के तीन पूर्वोत्तरी राज्यों के शनिवार को आए चुनावी नतीजों ने देश के सियासी नक्शे को बदल दिया। भारतीय जनता पार्टी 35 साल में अपनी सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब भाजपा ने लेफ्ट की मजबूत पकड़ वाले राज्य में उसे सत्ता से बाहर कर दिया। शुरुआती रुझानों में त्रिपुरा में लेफ्ट और बीजेपी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नजर आई, लेकिन बाद में भाजपा गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गया।
वहीं, नगालैंड-मेघालय में भी सरकार बनाने के समीकरण बीजेपी के ही पक्ष में नजर आ रहे हैं। अब देश के 19 राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी और इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और लेफ्ट के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। जिस त्रिपुरा में बीते 25 साल में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था, वहां उसने 51 सीटों पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी को चुनौती दी थी। यहां पहली बार वह सबसे ज्यादा सीटें लेकर आ रही है। पूर्वोत्तर भारत करीब करीब कांग्रेस मुक्त हो चुका है। पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन की आधारशिला और उन चेहरों के बारे में जानना जरूरी है जिनके अकथ और अथक परिश्रम की वजह से ये राज्य केसरिया रंग में सराबोर हैं। कहते हैं कि चुनावी लड़ाई में मुद्दों की पहचान करना जितना महत्वपूर्ण होता है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि चुनावों के दौरान पार्टियों के रणनीतिकार किस अंदाज में अपनी बात को जनता के सामने रखते हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अब समय माणिक को हटाकर हीरा पहनने का का है। हीरा को विस्तार देते हुए उन्होंने बताया था कि हाइवे, इंटरनेट वेए रोडवेज और एयरवेज त्रिपुरा की जरूरत है। रुझानों में दो तिहाई बढ़त के साथ पीएम की इस अपील पर मतदाताओं ने मुहर लगा दी और 25 साल पुरानी माणिक सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। हेमंत विश्व सरमा, राम माधव, सुनील देवधर, विप्लव कुमार देब, नलिन कोहली आदि को पूर्वोत्तर राज्यों में जीत का श्रेय दिया जा रहा है।