जयपुर । राजस्थान में जसवंत के बागी तेवर अपनाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उठी बगावत की आंधी अब बवंडर का रूप लेती जा रही है। बाड़मेर से टिकट नहीं मिलने से नाराज जसवंत और उनके समर्थकों का गुस्सा ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक और नेता ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए निर्दलीय चुनाव में उतरने की घोषणा की है। जाट समुदाय का यह नेता भी पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस बीच बाड़मेर-जसलमेर में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई है लेकिन जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने इससे कन्नी काटने के लिए बीमारी का बहाना बनाते हुए पार्टी से एक महीने की छुप्ती की दरख्वास्त लगाई है। मानवेंद्र बाड़मेर जिले के शिव क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं। भाजपा विधायक और जाट समुदाय के नेता सुभाष महरिया ने सीकर में आयोजित एक विशाल रैली में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की। भाजपा ने वहां से स्वामी सुमेधानंद को प्रत्याशी बनाया है। प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से महरिया के समर्थक सुमेधानंद का विरोध कर रहे हैं। महरिया के एक समर्थक ने सीकर से फोन पर आईएएनएस को बताया ‘‘अपने समर्थकों के साथ बातचीत करने के बाद महरिया ने स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। वे 26 मार्च को नामांकन भर सकते हैं।’महरिया ने कहा ‘‘मैंने इस संसदीय क्षेत्र में 18 वर्षों तक काम किया है। लोग बाहरी प्रत्याशी को नहीं चाहते इसलिए उन्होंने मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कहा है। उन्होंने कहा ‘‘लोग किसी स्वामी या धार्मिक गुरु को राजनीति में नहीं देखना चाहते। उधर जसवंत सिंह ने रविवार को चेताया कि पार्टी को लोकसभा चुनाव में आंतरिक खींचतान की कीमत चुकानी पड़ेगी। राजस्थान के बाड़मेर से पार्टी का टिकट नहीं मिलने से नाराज जसवंत सिंह ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि पार्टी में कई तरह के मतभेद सामने आने के ‘परिणाम’ सामने आ सकते हैं। वर्तमान लोकसभा में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले जसवंत ने राजस्थान से फोन पर बताया कि पार्टी नेतृत्व को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा ‘‘पार्टी में उभरे मतभेद अब सतह पर आ गए हैं। इसलिए परिणाम तो सामने आना ही है। पार्टी को इसे भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।’’
जसवंत सिंह ने शनिवार को जनता से ‘असली भाजपा’ और ‘नकली भाजपा’ में फर्क करने के लिए कहा था। उन्होंने रविवार को आईएएनएस से कहा ‘‘भाजपा सदस्यों को आत्मालोचन करना चाहिए कि पार्टी अपनी जवाबदेहियों से कैसे पीछे हट गई। किसी भी नेता का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा ‘‘पार्टी नेतृत्व लोगों और पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों विचारों और प्रतिबद्धता को भूल गए। उनकी आलोचनाओं के निशाने पर गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को माना जा रहा है। मोदी ने जसवंत सिंह प्रकरण पर कुछ भी नहीं कहा है। बाड़मेर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाजपा और उसके प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के पोस्टरों पर अपना गुस्सा उतारा। जसवंत सिंह के समर्थकों ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ भी प्रदर्शन किया। समर्थकों का मानना है कि उन्हीं के इशारे पर जसवंत का टिकट काटा गया है।जसवंत सिंह ने आईएएनएस से कहा ‘‘भाजपा की बौद्धिकता पर नए आगंतुकों ने कब्जा जमा लिया है। ये तत्व भाजपा से संबंध नहीं रखते हैं।’’उन्होंने कहा ‘‘बाड़मेर के लोगों को इस बात का गुस्सा है कि अभी हाल तक जो नेता भाजपा को गालियां निकाल रहे थे उन्हें सम्मानित किया गया है।’’जसवंत सिंह का इशारा कर्नल सोनाराम की ओर था जो हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं और उन्हें बाड़मेर से प्रत्याशी घोषित किया गया है।