थाईलैण्ड में 13 गोताखोरों ने पूरा किया मिशन, गुफा में फंसे सभी बच्चे सुरक्षित बाहर निकाले गये
बैंकाॅक : थाईलैंड के थाम लुआंग गुफा में बीते 23 जून को फंसे अंडर-16 टीम के 12 खिलाड़ी और कोच को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इससे पहले सोमवार और रविवार को गुफा से 4-4 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया था। इसके बाद आज बाकी बचे 5 सदस्यों को बाहर निकलने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव कार्य चलाया गया। गौरतलब है कि बचाव कार्य स्थानीय समय के अनुसार, सुबह 10 बजे शुरू हुआ था। इस बचाव दल के साथ गुफा में कई डॉक्टर भी मौजूद रहे। अधिकारी ने बताया कि गुफा से निकाले गए बच्चों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया है। कई रेस्क्यू ऑपरेशन के नाकाम रहने के बाद पानी से सराबोर और संकरी गुफा से बच्चों और कोच को निकालने के लिए गोताखोरों की मदद ली गई। अधिकारियों ने बताया कि बच्चे बाहर निकलकर काफी खुश हैं। बच्चे भूखे हैं और वह अपना मनपसंद भोजन करना चाहते हैं। लेकिन, बच्चों को अभी सिर्फ तरल पौष्टिक आहार ही दिया जा रहा है।
वाइल्ड बोर्स नामक फुटबॉल टीम के सदस्य और कोच 23 जून को संकरी और अंधेरी गुफा में फंसे थे। ये लोग अभ्यास के बाद वहां गए थे और भारी मानसूनी बारिश के चलते गुफा में पानी भर जाने से फंस गए। फुटबॉल टीम के इन लड़कों की उम्र 11 से 16 साल के बीच है। अधिकारियों ने बच्चों और कोच को गुफा से बाहर निकालने की कई योजनाएं बनाई थीं। इनमें एक योजना खराब मौसम के कारण गुफा में फंसे बच्चों को महीनों तक वहीं छोड़ने की थी। अधिकारी मानसून के पूरी तरह से खत्म होने और बाढ़ के थमने के बाद अभियान शुरू करने की सोच रहे थे। लेकिन ऑक्सीजन स्तर में कमी और जलस्तर के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर इस योजना को खारिज कर दिया गया।
जॉन वोलेंनथन और रिक स्टैटन के मुताबिक ये बच्चे कीचड़ के बीच एक छोटी सी चट्टान पर बैठे मिले थे। जॉन ने जब उनसे पूछा था कि आप कितने लोग हो? तो अंदर से आवाज आई थी थर्टीन। जॉन और रिक दुनिया के सबसे माहिर गोताखोर हैं। 2004 में दोनों ने ब्रिटेन की बुकी होल गुफा की गहराई में जाकर रिकॉर्ड बनाया था। रिक फायर ब्रिगेड विभाग से रिटायर्ड हैं और जॉन आईटी सलाहकार हैं। रिक ने 2004 में मैक्सिको में आई बाढ़ में 9 दिन तक फंसे रहे 6 सैनिकों को बचाया था। रिक को उन्हें बाहर निकालने में 9 घंटे लगे थे। इसके अलावा 2010 में फ्रांस की गुफा में फंसे वहां के गोताखोर एरिक एस्टाबिले की जान भी इन्होंने बचाई थी। वह ऑपरेशन 8 दिन चला था। हालिया मामले के बाद थाइलैंड नेवी ने जैसे ही इनसे संपर्क किया, दोनों तत्काल राजी हो गए और 27 जून को मौके पर पहुंचकर मिशन में जुट गए।