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दक्षिण चीन सागर मामले में अमेरिका और चीन फिर आमने-सामने

वाशिंगटन : चीन और अमेरिका एक बार फिर विवादित दक्षिण चीन सागर पर आमने-सामने आ गए हैं। 30 सितंबर को दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका के युद्धपोत ने चीन के युद्धपोत को चेतावनी तक दी थी। इसके बाद दोनों युद्धपोत टकराते-टकराते बचे थे। इस पर चीन और अमेरिका के बीच शनिवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में चीन ने अमेरिका से दो टूक लहजे में कहा है कि वह दक्षिण चीन सागर में उन द्वीपों के निकट पोत तथा सैन्य विमान भेजना बंद करे जिन्हें चीन अपना बताता है। शीर्ष स्तर पर हुई इस बैठक को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच इस महीने के अंत में होने वाली मुलाकात की तैयारी के तौर देखा जा रहा है। दरअसल, सितंबर में दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका और चीन के युद्धपोत गश्‍त पर थे। इसी दौरान अमेरिका के युद्धपोत के सामने चीन का युद्धपोत आ गया।

अमेरिकी नौसैनिकों ने इस घटना के संबंध में बताया कि इस दौरान अमेरिकी युद्धपोत डेकाटर की ओर से चीन युद्धपोत को चेतावनी भी दी गई थी। इसके लिए डेकाटर से तेज हॉर्न बजाया गया, लेकिन चीनी नौसेना ने इसे नजरअंदाज कर दिया था। इस पर डेकाटर पर सवार अमेरकी नौसैनिकों ने युद्धपोतों के टकराने की आंशका के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम भी अपनाए। अमेरिकी नौसैनिकों ने कहा कि चीनी नौसैनिक उन्‍हें जबरन रास्‍ते से अलग करना चाह रहे थे। बताया जा रहा है कि दोनों देशों के युद्धपोत करीब 45 यार्ड की दूरी तक पास आ गए थे। शनिवार को वॉशिंगटन में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों तथा सैन्य प्रमुखों के बीच बैठक हुई। चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जहां कहीं भी अंतरराष्ट्रीय कानून इजाजत देंगे वह विमान भेजना, पोत भेजना और उन स्थानों तक अपनी पहुंच जारी रखेगा। बीते सितंबर माह के अंत में अमेरिका और चीन के पोत एक विवादित द्वीप के निकट टकराने से बचे थे। इस बैठक में गहरे मतभेद के बावजूद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने की जरूरत पर जोर दिया गया। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अमेरिका-चीन कूटनीति एवं सुरक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘अमेरिका चीन के साथ शीत युद्ध रोकथाम की नीति नहीं अपना रहा है, बल्कि हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए चीन जिम्मेदाराना और निष्पक्ष रवैया अपनाए।

गौरतलब है कि यह बैठक पिछले माह बीजिंग में होनी थी, लेकिन ताइवान को नए हथियारों की बिक्री की घोषणा होने और सितंबर में एक चीनी विध्वंसक पोत के यूएसएस डेकाटर के नजदीक आने के बाद स्थगित कर दी गई थी, तब अमेरिकी नौसेना ने इसे ‘असुरक्षित और गैर-पेशेवर कदम’ करार दिया था। पोम्पिओ के चीनी समकक्ष यांग जाइची ने कहा, चीनी पक्ष ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि उसे चीन के द्वीपों और रीफ के निकट अपने पोत और सैन्य विमान भेजने बंद करना चाहिए और ऐसी कार्रवाइयां बंद करनी चाहिए, जो चीनी प्राधिकार और सुरक्षा हितों को कमजोर करते हों। यांग और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने अमेरिका और चीन की सेनाओं के बीच तथा इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया ताकि एशिया प्रशांत में दो विश्व शक्तियों के बीच टकराव के खतरे को रोका जा सके। वेई ने कहा, हमारे लिए सहयोग ही एकमात्र विकल्प है। दो सेनाओं के बीच विरोध और संघर्ष हमारे ऊपर कहर बरपाएगा। इस बीच, अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस ने नौवहन की स्वतंत्रता के अमेरिका के अधिकार पर जोर दिया, लेकिन कहा कि दोनों पक्षों को समान हित वाले क्षेत्रों पर मिल कर काम करना चाहिए।

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