दमा से क्षणिक राहत पाने का उपाय करने वाली महिलाओं को गर्भवती होने में लंबा समय लग सकता है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। हालांकि जो ज्यादा अवधि तक राहत पाने के लिए दमा रोकने वाले इनहेलर का उपयोग करती हैं वे सामान्य रूप से गर्भ धारण कर सकती हैं। दुनिया में करीब 5 से 10 फीसदी महिलाओं को दमा है। प्रजनन की उम्र में महिलाओं को यह गंभीर बीमारी होती है।
दूध और इसके बने पदार्थ दमा में नहीं खाने चाहिए। ज्यादातर लोगों में दमा की 60 फीसदी वजह दूध और दूध से बने पदार्थ ही होते हैं। इसके अलावा केला, कटहल, पकाई हुई चुकंदर न खाएं हालांकि कच्ची चुकंदर का सेवान किया जा सकता है। मौसमी सेम या फलियां, लोबिया आदि भी नुकसान दायक हैं।
योग से मिलेगा फायदा
योग करने से दमा के रोगियों की नासिका छिद्र बंद होने की समस्या दूर हो जाती है। दमा कई तरह के होते हैं। कुछ ऐलर्जिक, कुछ ब्रोंकाइल और कुछ साइकोसोमैटिक होते हैं। प्राणायाम करने से इंसान मानसिक तौर से शांत और सतर्क हो जाता है और उसका दमा ठीक हो जाता है। अगर एक से दो हफ्तों तक प्राणायाम का रोजाना सही तरीके से अभ्यास कर लिया जाए तो दमा के मरीजों को 75 फीसदी तक का फायदा महसूस होगा।
चबाएं तुलसी के पत्ते
तुलसी के कुछ पत्ते शहद और काली मिर्च को चार घंटे तक भिगो कर रख दें फिर पत्तों को चबा लें। इससे दमा का दौरा पड़ने की आशंका बेहद कम हो जाएगी।
दमा के मरीज अगर कम खाना खाएं तो उनमें कमजोरी आ जाती है और दमा भी बढ़ जाता है। अगर पेट भरकर खाना खा ले तो भी दमा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर रोजाना आप मुट्ठी भर भीगी हुई मूंगफली खा लेते हैं तो आपको काफी फायदा होगा।
रोज खाएं शहद
शहद से शरीर को आवश्यक गर्मी मिलती है। यह श्वसन नली में बलगम को खत्म कर देता है। अगर आपको लगे कि दमा का दौरा पड़ने वाला है तो ऐसे में गर्म पानी के साथ काली मिर्च और शहद पीना चाहिए। ऐसा करने से दौरे को करीब एक घंटे तक के लिए टाला जा सकता है। इसका नियमित सेवन भी दमा को खत्म कर सकता है।
नीम से मिलेगी ऊष्मा
इससे शरीर में भरपूर ऊष्मा पैदा होती है। नीम को शहद में लपेटकर रोजाना सुबह ले सकते हैं।
दमा एक ऐसी स्थिति है, जो फेफड़ों में मौजूद छोटे वायु मार्ग यानी ब्रॉन्क्रियल्स को प्रभावित कर देती है।