दवाओं की बिक्री पर बने स्पष्ट नीति
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को जोड़ते हुए इंटरनैट के माध्यम से दवा का कारोबार करने वालों ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को अनुमति दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे गुणवत्तायुक्त व सुविधाजनक स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। ऑनलाइन कारोबारियों ने इंडियन इंटरनैट फार्मेसी एसोसिएशन (आईआईपीए) नाम से संगठन भी बनाया है, जिससे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित समिति के सामने एकजुट होकर दवाओं के ऑनलाइन कारोबार को अनुमति दिए जाने की मांग रखी जा सके। आल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट ऐंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) ने उप समिति से कहा है कि ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट 1940 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 1945 को देखते हुए दवाओं का ऑनलाइन कारोबार पूरी तरह अवैध है। एआईओसीडी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के विरोध में 14 अक्तूबर को देशव्यापी हड़ताल की तैयारी कर रहा है।
महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त हर्षदीप कांबले की अध्यक्षता वाली उपसमिति ने पिछले महीने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के मसले पर विभिन्न हिस्सेदारों जिनमें आम लोग, कंपनियां, एसोसिएशनों और कारोबारी संगठनों से प्रतिक्रिया मांगी थी। इस साल की शुरूआत में प्रमुख ई-कॉमर्स कारोबारी स्नैपडील ने डॉक्टर के पर्चे पर लिखी दवाओंं की ऑनलाइन बिक्री शुरू की थी। बहरहाल मई में महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने स्नैपडील के मुख्य कार्यकरी और कंपनी के निदेशकों के खिलाफ औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 और औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी। ऑनलाइन फार्मेसी एसोसिएशन, जिसका अभी पंजीकरण होना है, ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का मॉडल अपनी सिफारिशों में पेश किया है। साथ ही एसोसिएशन ने इस कारोबार की उन्नति के लिए नीतियों में स्पष्टता की मांग की है। एसोसिएशन का दावा है कि उसके एक दर्जन से ज्यादा सदस्य हैं। कांबले को आईआईपीए ने लिखा है, ”दवाओं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े उपकरणों की ऑनलाइन बिक्री करने वाली वैबसाइट के मालिकों को ही लाइसेंस दिया जाना चाहिए, जो अपनी वैबसाइट, पोर्टल, एप्प पर प्रमुखता से अधिकृत मुहर का प्रदर्शन करें।” इसमें यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन बिक्री के लिए मानक बनाए जाने चाहिए।