उत्तराखंड

दशहरा पर कहीं शराब मुक्त हुआ मंचन तो कहीं पशु बलि हुई बंद

janaki-ram-in-the-ramlila-of-ramnagar-and-married_1474403803विजयादशमी का पर्व सिर्फ असत्य पर सत्य की विजय की रस्म अदायगी भर नही है। बल्कि पुरानी परंपरा में निरंतर नई धाराएं भी जुड़ रही हैं।
 
दशहरा के माध्यम से उत्तराखंड के चंपावत ने सामाजिक बुराइयों पर विजय की राह दिखाई है। यहां के मिरतोला में विजयादशमी शराब मुक्त रामलीला की शुरुआत का सबब बनी है। वहीं यह पर्व महिला सशक्तीकरण का प्रतीक भी बन गया है। यही नहीं जिले के तामली तल्लादेश में विजयादशमी पर वर्षों से चली आ रही बलि प्रथा से भी लोगों ने नाता तोड़ लिया।

मिरतोला में शराब मुक्त रामलीला की पहल भी दशहरा पर्व से ही जुड़ी हुई है। इस दौरान कुमाऊंनी अंचल में जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है। अधिकांश स्थानों में शराब के बढ़ते प्रचलन के कारण रामलीला मंचन के दौरान खलल उत्पन्न होता है।

पिछले पांच साल से क्वैराला घाटी के मिरतोला में शराब मुक्त रामलीला हो रही है। यहां शराब अथवा किसी प्रकार के नशे का सेवन कर आने वाले व्यक्ति को रामलीला परिसर में प्रवेश ही नहीं दिया जाता।

Related Articles

Back to top button