दिल्ली-NCR में सबसे ज्यादा हैं बिना बिके मकान
एंजेंसी/ नई दिल्ली: देश के विभिन्न शहरों में बिना बिके आवासीय परिसरों और वाणिज्यिक एस्टेट की संख्या बढ़ती जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिना बिके मकान और दुकानों की संख्या हाल में 18-40 प्रतिशत बढ़ी है, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ऐसे मकानों की है। रिपोर्ट के अनुसार, बिना बिके मकानों का सबसे ज्यादा असर इससे जुड़े वित्तीय सेवा तथा इस्पात क्षेत्र पर पड़ा है।
दाम घटने के बावजूद मांग में गिरावट
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ऐसोचैम द्वारा किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, मकान एवं दुकानों के दाम तथा ब्याज दर घटने के बावजूद फ्लैट की मांग में 25-30 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि पिछले साल दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाणिज्यिक क्षेत्र की मांग 35-40 प्रतिशत घटी।
इसके बाद मुंबई का नंबर
रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि मुंबई में नवी मुंबई, ठाणे और अन्य उपनगरीय इलाकों में गतिविधियों कुछ बढ़ी हैं। मुंबई में बिना बिके मकानों और दुकानों की दूसरी सबसे अधिक संख्या है इसके बाद बेंगलुरु और चेन्नई में ऐसे बिना बिके आवासीय परिसर हैं। मुंबई में जहां बिना बिके मकानों की संख्या 27.5 प्रतिशत है, बेंगलुरु में यह 25 प्रतिशत, चेन्नई में 22.5 प्रतिशत, अहमदाबाद 20 प्रतिशत, पुणे 19.5 प्रतिशत और हैदराबाद 18 प्रतिशत रही है।
रियल एस्टेट संबंधी कानून देशभर में लागू
बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए लाया गया रियल एस्टेट क़ानून 1 मई से देशभर में लागू हो गया है। नए क़ानून में बिल्डरों की जवाबदेही तय की गई है। इस बिल के बाद से बिल्डरों को तय समय सीमा के अंदर ही ख़रीदारों को फ़्लैट देना होगा। प्रोजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं कॉरपेट एरिया पर करनी होगी। पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को ब्याज और जुर्माना दोनों देना होगा। अगर कोई बिल्डर ख़रीदार के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल की सज़ा होगी। इसके साथ ही बिल्डरों को ख़रीदारों से लिया 70% पैसा प्रोजेक्ट के अकाउंट में ही रखना होगा। सभी राज्यों में रीयल एस्टेट अथॉरिटी होगी जिसके साथ बिल्डरों और रीयल एस्टेट एजेंट को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।