नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में लापरवाह और भ्रष्ट पुलिसवालों को जबरन रिटायरमेंट देकर घर भेजने का आदेश किया गया है। ऐसे पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग के बाद कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। विजिलेंस विभाग ने सभी जिलों के डीसीपी को पत्र लिखकर कहा है कि डार्क शीप और डेड वोण्ड बन चुके पुलिसकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
विजिलेंस विभाग के तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि सिपाही से सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की स्क्रीनिंग डीसीपी करेंगे। जबकि इंस्पेक्टर रैंक की स्क्रीनिंग जॉइंट सीपी करेंगे। विजिलेंस ने कुल 8 बिंदुओं जिनमें भ्रस्टाचार, डयूटी से गायब रहना, आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहना, नशे का आदी होना या किसी आपराधिक केस में कोर्ट से आरोप तय होने जैसे मामलों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। स्क्रीनिंग कमेटियां अपने-अपने जिलों से ऐसे पुलिसकर्मियों के नाम विजिलेंस को भेजेंगीं और फिर इन पर कार्रवाई की जाएगी।
दर्जनभर भ्रष्ट आयकर अधिकारियों की नौकरी से छुट्टी
इससे पहले जून में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने आयकर विभाग के दर्जनभर आला अधिकारियों की छुट्टी कर दी थी। चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर और कमिश्नर रैंक के इन अधिकारियों को वित्त मंत्रालय ने जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था। केंद्र ने यह कठोर कदम उठाते हुए नौकरशाही को भी स्पष्ट संकेत दे दिया है।
इन अधिकारियों पर सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 के तहत इन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया गया था। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। इन्होंने घूसखोरी के जरिये भारी भरकम संपत्ति अर्जित कर रखी है। इनकी संपत्ति उनके आय के ज्ञात स्रोतों से काफी अधिक है। आयकर विभाग ने इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की थी जिसे इन्होंने अदालत में चुनौती दे दी थी। यही वजह है कि सरकार ने इनके खिलाफ अब कठोर कदम उठाया है।
यूपी में भी हो रही है ऐसी कार्रवाई
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट्र और लापरवाह कर्मचारियों को पर लगातार कार्रवाई कर रही है। जानकारी के अनुसार, यूपी में करीब छह सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें से 201 को जबरन सेवानिवृति दी गई है। इस कार्रवाई के अलावा 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के राडार पर हैं। इनमें ज्यादातर आईएएस और आईपीएस अफसर हैं। इन सभी पर फैसला केंद्र सरकार लेगी। इन अधिकारियों की सूची तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई है।
दरअसल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के भ्रष्ट, नाकारा व अकर्मण्य सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जोर दिया है। इस कड़ी में प्रदेश में 400 से अधिक सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। प्रदेश सरकार ने 201 अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन वीआरएस दिया है, जबकि 400 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को दंड दिया गया है यानी अब उनका प्रमोशन नहीं होगा, साथ ही उनका तबादला किया गया है।