नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन योजना को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप तो लगा दिया है लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य चाहे तो योजना शुरू कर सकता है। शर्त सिर्फ इतनी है कि इसके लिए दिल्ली सरकार को अधिसूचित कीमत पर अनाज खरीदना होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि वर्तमान एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून) में कोई बदलाव संभव नहीं है। वह संसद से पारित कानून के हिसाब से हर राज्य के लिए एक समान है। उसमें निगरानी और पारदर्शिता का तंत्र जरूरी है।
अगर दिल्ली सरकार चाहे तो केंद्र उसे अधिसूचित कीमत पर जितनी चाहे अनाज दे सकता है। फिर वह किसी भी नाम से कितना भी राशन बांट सकती है। दरअसल पीडीएस स्कीम के तहत जो अनाज राज्यों को मिलता है वह दो तीन रुपये के हिसाब होता है। जबकि अधिसूचित कीमत इससे काफी ज्यादा होती है। कई बार कुछ राज्य इस कीमत पर केंद्र से अनाज की खरीद करते भी हैं। केंद्र ने दिल्ली को इसी की याद दिला दी। साथ ही दिल्ली की सार्वजनिक वितरण प्रणाली से पारदर्शिता और निगरानी तंत्र गायब होने की बात भी दोहरा दी।
दिल्ली में वर्ष 2018 से ही राज्य की 2000 रियायती दर की दुकानों से ई-पास मशीन को लगाने का आग्रह किया गया। बार-बार आग्रह के बाद दुकानों में मशीनें लगा तो दी गई लेकिन उन्हें संचालित नहीं किया जा रहा है। दिल्ली के एक भी राशन उपभोक्ता को आज तक आधार नंबर से नहीं जोड़ा गया। जबकि देश के 95 फीसद उपभोक्ता आधार से जुड़ चुके हैं। ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना लागू न करने की वजह से राजधानी दिल्ली में रहने वाले लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके हक का राशन नहीं मिल पा रहा है। जबकि यह योजना पूरे देश में लागू हो चुकी है। इसका लाभ लेकर प्रवासी मजदूर किसी भी राज्य राशन ले सकते हैं।
दिल्ली में ई-पास मशीनों का उपयोग न करने से राशन प्रणाली की रीयल टाइम निगरानी करना संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि देश के सुदूर में बसे पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल, प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा की रियायत दर की सौ फीसद राशन दुकानों पर ई-पास मशीनें काम कर रही हैं। वहां की राशन प्रणाली पारदर्शिता के साथ चल रही है। इससे केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर एनएफएसए में खाद्यान्न वितरण की रीयल टाइम निगरानी करने में सहूलियत हो रही है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के प्रविधानों के तहत चलाई जा रही राशन प्रणाली में राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता है। लेकिन दिल्ली में योजना में घालमेल करने की कोशिश पर केंद्र ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कानून संसद से पारित है, जिसमें किसी भी तरह का संशोधन संभव नहीं है। दिल्ली राज्य ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत मई में कुल 37,400 टन अनाज का उठान किया है, जिसका 90 फीसद हिस्सा वितरित किया जा चुका है। जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दिल्ली ने मई और जून के लिए 63,299 टन राशन का उठान कर लिया। यह उसके हिस्से के कुल आवंटन का 176 फीसद है। गरीबों के इस अनाज का कुल 73 फीसद अब तक वितरित किया गया है।