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दिवाली की रात दिल्ली में बरपा पटाखों का कहर, सामने आ रहा यह भयावह असर

दिवाली की रात पटाखों की वजह से खराब हुई आबोहवा का असर दिल्लीवालों की सेहत पर पड़ रहा है। दिल्ली के छोटे-बड़े, सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस में तकलीफ और फेफड़ों में संक्रमण की समस्या को लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है।
बताया जा रहा है कि एम्स से ज्यादा दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। दिवाली के बाद दिल्ली गेट स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में 40 से ज्यादा मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे हैं।

दिवाली की रात दिल्ली में बरपा पटाखों का कहर, सामने आ रहा यह भयावह असरजबकि डीडीयू, डॉ. हेडगेवार और डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल को मिलाकर करीब 140 मरीज सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द की शिकायत को लेकर आ चुके हैं। वहीं, एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि उनके यहां इमरजेंसी में ही 150 से ज्यादा मरीज पिछले दो दिन में पहुंचे हैं।
  
द्वारका स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल के मुताबिक, उनके यहां पिछले तीन दिन में 100 से ज्यादा मरीजों की ओपीडी बढ़ चुकी है। वहीं 30 मरीज ऐसे हैं, जो प्रदूषण की वजह से कफ और सांस लेने में गंभीर समस्या को लेकर पहुंचे हैं।

इनके अलावा बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मुताबिक, उनके यहां तीन दिन में 150 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंच चुके हैं। मैक्स पटपड़गंज और फोर्टिस अस्पताल में सांस की समस्या के इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 100 से ज्यादा रही।

उधर पारस अस्पताल के डॉ. अरुणेश कुमार का कहना है कि उनके यहां तो 300 से ज्यादा मरीज ओपीडी में पंजीकृत हुए हैं। बता दें कि दिल्ली में दिवाली के बाद से ही प्रदूषण का स्तर खतरे से ऊपर पहुंच चुका है। इसकी वजह से जहां आसमान में धुंध सुबह शाम दिखाई दे रही है।

वहीं, लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि ज्यादातर डॉक्टरों का मानना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सुधार है। पिछले साल तो दिवाली के अगले ही दिन अस्पतालों में मरीजों का तांता लग गया था। 

प्रदूषण के साथ बढ़ जाती हैं बीमारियां      

बीएलके अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर संदीप नायर बताते हैं कि प्रदूषण बढ़ने से सिर्फ लोगों को सांस लेने में दिक्कत ही नहीं होती, बल्कि इससे उनका पूरा शरीर प्रभावित होता है। त्वचा, आंख, नाक, दिल और फेफड़ों तक पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अस्थमा पीड़ितों के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इसके अलावा प्रदूषण बढ़ने से बीमारियों के बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है। उन्होंने लोगों को सतर्कता बरतने का सुझाव दिया है।

बच्चे भी हो रहे हैं परेशान
आकाश हेल्थ केयर के वरिष्ठ डॉ. पुनीत खन्ना का कहना है कि हवा में प्रदूषण बढ़ने के कारण बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। अस्पतालों में मौजूद छोटे छोटे बच्चों को देख स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस समय धुंध के साथ पटाखों की वजह से खतरनाक और जानलेवा रसायनों की परत भी जम चुकी है। सुबह और देर शाम में हालात और भी ज्यादा खराब दिखाई दे रहे हैं।

कई तरह का प्रदूषण बढ़ा
एम्स के डॉ. करन मदान ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण भी कई तरह से बढ़ा है। दिवाली पर पटाखों के अलावा वाहनों की भारी संख्या और निर्माण कार्य भी सहायक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है तो इससे अस्थमा सहित अन्य तमाम बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को फायदा पहुंचेगा।

आंखों में संक्रमण भी बढ़ा
दरियागंज स्थित आई-7 अस्पताल के निदेशक डॉ. संजय चौधरी ने बताया कि हवा में प्रदूषण की वजह से आंखों में संक्रमण के केस भी बढ़ गए हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान उनके यहां 200 से ज्यादा मरीज ऐसी शिकायतें लेकर पहुंच चुके हैं। डॉ. चौधरी ने बताया कि घर से बाहर निकलते वक्त लोग गहरे और अच्छी गुणवत्ता वाला चश्मा जरूर पहनें। यह वक्त आंखों में संक्रमण फैलने का है।

मास्क या लगाएं मफलर
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण से बचने के लिए सबसे पहले घर से निकलते वक्त मुंह पर मास्क या मफलर लगाएं, आंखों पर गहरे रंग का चश्मा होना चाहिए। कोशिश करें कि पूरी बाजू के कपड़े ही पहनकर बाहर निकलें। सुबह और शाम टहलने के लिए न निकलें। पार्क और बगीचों में व्यायाम न करें। घर के एसी सिस्टम का प्यूरीफायर भी जांच करवा लें।

 
 

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