एंजेल फॉल्स: पहाड़ियों को चीरता हुआ और हरे-भरे जंगल में बेहद शानदार प्राकृतिक छवि पेश करता है यह झरना दुनिया में सबसे ऊंचा है। इसकी ऊंचार्इ 3,212 फीट है, जिसका बहाव करीब एक किलोमीटर ऊपर से है। यह झरना साउथ अमेरिका कॉन्टिनेंटल के वेनेजुएला में स्थित है
नियाग्रा फॉल्स: यह अमेरिका का सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात है जो अमेरिकन फॉल्स, ब्राइडल वेल फॉल्स तथा होरशॉ फॉल्स के मिलने से बना है। यहाँ हर साल लगभग 1.4 करोड़ पर्यटक घूमने आते हैं।
विक्टोरिया वॉटरफॉल्स: साउथ अफ्रीका की जांबेजी रिवर पर स्थित यह झरना आपके नहाने की तमन्ना पूरी कर देगा। यहां इसे ‘मोसी-ओआ-तून्या’ कहते हैं, जिसका मतलब है धुंआ और गर्जना। यहां एक साथ काफी लोग बॉथिंग कर सकते हैं। यह 108 मीटर ऊंचा है, कर्इ नदियों के बहाव से इसमें अलग-अलग नजारे दिखना आम है।
केटूर फॉल्स: यह गुयाना के पोटेरो नदी पर स्थित है। यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली जलप्रपातों में से एक है। इसकी ऊंचाई 226 मीटर है और इसके बहाव में 663 घन मीटर पानी प्रति सेकेण्ड मौजूद रहता है।
ब्लू नाइल फॉल्स: यह इथोपिया के ब्लू नाइल नदी पर स्थित है। इसे टिस अबे भी कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है धुएंवाला पानी। यह दुनिया के सुन्दर पर्यटन स्थलों में से एक है।
स्कॉगाफॉस: आइसलैंड के सबसे बड़े झरनों में शामिल स्कॉगाफॉस देखने पर इंद्रधनुष के बीच खड़े होने का अहसास होता है। बारिश के मौसम में यहां एक नहीं, बल्कि दो रेनबो नजर आते हैं। वाटरफॉल के आसपास ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और हरे-भरे जंगल हैं। इस जगह की इस खूबसूरती को देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं।
गुऑफॉस: आइसलैंड का ये वाटर फॉल नेचर की एक खूबसूरत देन है। यहां ऊंचाई से पानी की गिरती धारा को देखना वाकई अनोखा अनुभव होता है। 12 मीटर की ऊंचाई से गिरते नीले-हरे पानी के झरने की चौड़ाई लगभग 30 मीटर है। इसे ‘गोल्डन फॉल्स’ तथा ‘वाटर फॉल ऑफ गॉड’ भी कहा जाता है। इसके पीछे कई सारी स्टोरी जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है इस झरने का ये नाम 1000 साल पहले पड़ा था, जिसके बाद आइसलैंड में लोगों ने क्रिश्चियनिटी को स्वीकार कर लिया था।
सदरलैंड फॉल्स: यह झरना न्यूजीलैंड के फिओर्दलैंड में 580 मीटर की ऊंचार्इ पर स्थित है। यह काफी बड़ा है, इसके बहाव के तीन स्त्रोत हैं। जिनसे यह अनूठा लगता है, हालांकि हरियाली नजर नहीं आती, लेकिन मटियाला कलर बुरा भी नहीं लगता है। सन् 1880 में डोनाल्ड सदरलैंड द्वारा इसकी खोज की गर्इ थी, इसलिए उनकी वजह से ही यह नाम इसे मिला।