नई दिल्ली : देश के सबसे लम्बे रेल, रोड ब्रिज बोगीबील का उद्घाटन किया। 4.94 लंबा यह ब्रिज भारत-चीन बॉर्डर एरिया में काफी महत्तवपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस परियोजना का शिलान्यास 22 जनवरी 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा द्वारा किया गया था। हालांकि इस पर काम की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में 21 अप्रैल 2002 को हुई। परियोजना में हुई देरी के कारण इसकी लागत 85 फीसदी तक बढ़ गई। इस ब्रिज के रणनीतिक महत्व को देखते हुए 2007 में इसे राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट घोषित कर दिया गया, यह ब्रिज पूर्वी क्षेत्र में तेजी से सेना और हथियारों की आवाजाही को बढ़ाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगा, यह इस तरह से बनाया गया था कि इमरजेंसी में इस पर लड़ाकू जेट भी उतारा जा सकता है। तकनीक के प्रयोग के कारण एयरफोर्स को तीन लैडिंग पट्टियां उपलब्ध हो पाएंगी।बोगीबील ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सेना को दक्षिण से उत्तर की ओर आसानी से भेजा जा सकेगा। इसका अर्थ है कि दक्षिण से उत्तर की ओर भारत-चीन बॉर्डर तक सेना को भेजने में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले ढोला- सदिया और अब बोगीबील ब्रिज ये दोनों भारत के रक्षा शक्ति को बढ़ाएंगे। हालांकि बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी की चौड़ाई 10.3 किलोमीटर है लेकिन रेलवे पुल बनाने के लिए यहां तकनीक लगाकर पहले नदी की चौड़ाई कम की गई और फिर इस पर करीब 5 किलोमीटर लंबा रेल/रोड ब्रिज बनाया गया है। यह भारत का सबसे लंबा रेल/रोड ब्रिज है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिलहाल यहां से 450 किलीमीटर दूर गुवाहाटी में ही ब्रह्मपुत्र को पार करने के लिए नदी पर पुल मौजूद है, जबकि सड़क पुल भी यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर है। ऐसे भी आम लोगों की सुविधा के अलावा फौजी ज़रूरतों के लिहाज से यह पुल सेना को बड़ी ताकत देगा। इस ब्रिज को बनाने में इंजीनियरों को कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। सबसे पहले तो उन्हें यहां मार्च से लेकर अक्टूबर तक होने वाली बारिश के बाद ही काम करने का समय मिला है। इसके अलावा नदी के पानी के भारी दबाव में होने के नाते किसी भी तरफ से मिट्टी का कटाव शुरू हो जाता है और कहीं भी टापू बन जाता है ऐसे में काम करना या फिर लोकेशन बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है, लेकिन इन सबसे निपटकर पहली बार रेलवे ने स्टील गर्डर का इस्तेमाल कर इतना बड़ा पुल बनाया है। इस पुल में कहीं भी रिवेट्स नहीं लगाए गए हैं बल्कि हर जगह लोहे को वेल्ड किया गया है जिससे इसका वजन 20 प्रतिशत तक कम हो गया और इससे लागत में भी कमी आई है।