अजब-गजब
देश में यहाँ तोप के धमाके से खुलता है रोजा, सच्चाई यकीन करेंगे आप..?

रमजान में जिस बेसब्री से ईद का इंतजार किया जाता है वो वक्त अब करीब है। इस मौके पर आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक खास खबर जिसके बारे में आपको शायद ही जानकारी होगी। दरअसल आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां तोप के धमाके के साथ रोजा खुलता है।

पहले तोप बड़ी हुआ करती थी लेकिन अब छोटी तोप चलाई जाती है। वह बताते हैं, पहले बड़ी तोप का इस्तेमाल होता था लेकिन किले को नुकसान न पहुंचे इसलिए अब इसे दूसरी जगह से चलाया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत भोपाल की बेगमों ने 18वीं सदी में की थी। उस वक्त आर्मी की तोप से गोला दागा जाता था। शहर काजी इसकी देखरेख करते थे।
आज रायसेन में रमजान के दौरान चलने वाली तोप के लिए बकायदा लाइसेंस जारी किया जाता है। कलेक्टर तोप और बारूद का लाइसेंस एक माह के लिए जारी करते हैं। इसे चलाने का एक माह का खर्च करीब 40,000 रुपए आता है। इसमें से तकरीबन 5000 हजार रुपए नगर निगम देता है। बाकी लोगों से चंदा कर इकट्ठा किया जाता है।
तोप को रोज एक माह तक चलाने की जिम्मेदारी सखावत उल्लाह की है। वे रोजा इफ्तार और सेहरी खत्म होने से आधा घंटे पहले उस पहाड में पहुंच जाते हैं, जहां तोप रखी है और उसमें बारूद भरने का काम करते हैं। सखावत उल्लाह को नीचे मस्जिद से जैसे ही इशारा मिलता है कि इफ्तार का वक्त हो गया, वैसे ही वह गोला दाग देते हैं।
सखावत उल्लाह इसे बहुत अहम काम मानते हैं। उनका कहना है, “लोगों को मेरे तोप चलाने का इंतजार रहता है। तभी वे रोजा खोल सकते हैं।” पहले तोप की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पडती थी लेकिन अब शोर शराबे ने उसे कम कर दिया है। इसके बावजूद शहर और करीब के गांव के लोगों को गोला दागे जाने की आवाज का इंतजार सेहरी खत्म करने और रोजा खोलने के लिए रहता है।