अद्धयात्म

दो सौ सालों से बढ़ रहे हैं शालिग्राम, बिहार में है चमत्कारी मंदिर

अध्यात्म : बिहार के चंपारण में शालिग्राम का आकार लगातार बढ़ रहा है। यहां के शालिग्राम की पिंडी का बढ़ता आकार एक पहेली बना हुआ है। ये पिंडी, पश्चिम चंपारण के बगहा पुलिस जिला स्थित पकीबावली मंदिर के गर्भगृह में है। मान्यता है कि 200 साल पहले नेपाल नरेश जंगबहादुर ने इसे भेंट किया था। तब इस शालिग्राम पिंडी का आकार मटर के दाने से कुछ बड़ा था। इसे लाकर यहां बावड़ी किनारे मंदिर के गर्भगृह में रख दिया गया। अब पिंडी का आकार नारियल से दो गुना बड़ा हो गया है। यह अब भी लगातार बढ़ रहा है। यहां के लोग इसे जिंदा शालिग्राम मानते हैं। मंदिर बावड़ी के किनारे पर है। यहां और भी कई मंदिर है। ये मंदिर काफी पुराने हो चुके हैं। शालिग्राम की पिंडी के दर्शन के लिए दूर-दूर तक के श्रद्धालु यहां आते हैं।

200 साल पहले तत्कालीन नेपाल नरेश जंगबहादुर अंग्रेजी सरकार के आदेश पर किसी जागीरदार को गिरफ्तार करने निकले थे। तब उन्होंने बगहा पुलिस जिला में ही अपना कैंप लगाया था। उस वक्त यहां एक हलवाई नेपाल नरेश के ठहरने की सूचना पाकर, थाल में मिठाई लेकर उनके पास पहुंचा। राजा हलवाई की मेहमाननवाजी से काफी खुश हुए और उसे नेपाल आने का न्यौता दे दिया। बाद में हलवाई के नेपाल पहुंचने पर उसका भव्य स्वागत हुआ। उसी दौरान वहां के राजपुरोहित ने उसे एक छोटा सा ‘शालिग्राम’ भेंट किया था। हलवाई ने शालिग्राम लाकर एक विशाल मंदिर बनवाया और उसमें उन्हें स्थापित कर दिया। अब इन 200 साल में शालिग्राम की पिंडी का आकार कई गुना बढ़ गया। जब स्थापना हुई थी, तब मटर के दाने से कुछ बड़े थे। दरअसल, शालिग्राम दुर्लभ किस्म के चिकने और आकार में बहुत छोटे पत्थर होते हैं। ये शंख की तरह चमकीले होते हैं। शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। वैष्णव इनकी पूजा करते हैं। ये रंग में भूरे, सफेद या फिर नीले हो सकते हैं। आम तौर पर शालिग्राम नेपाल के काली गंडकी नदी के तट पर पाए जाते हैं।

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