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धर्मांतरण की प्रवृत्ति देश और हिंदुत्व के लिए खतरा: मोहन भागवत

चित्रकूट: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय सेवक संघ कभी अपनी इमेज की परवाह नहीं करता। क्योंकि संघ को समाज सेवा करनी है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना है। उसकी छवि के बारे में लोग खुद मूल्यांकन करेंगे। संघ का मुख्य एजेंडा हिंदुत्व है। बढ़ रही धर्मांतरण की प्रवृत्ति देश और हिंदुत्व के लिए खतरा है। संघ प्रमुख ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति संगठित समाज के बिना संभव नहीं है।

संगठित समाज में आत्मीयता रहती है। संघ प्रमुख ने कहा कि ईसाई मिशनरियां आदिवासी इलाकों में प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करा रही हैं। इसी प्रकार अन्य समुदाय भी धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। एनआरसी से किसी हिंदू को खतरा नहीं है। यह प्रभावी तरीके से लागू हो तो घुसपैठ पर लगाम लगेगी। पांच सौ साल पहले भारत में सिर्फ हिंदू धर्म था। संघ प्रमुख ने दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की चिंतन बैठक के बाद रविवार को प्रांत प्रचारकों के साथ वर्चुअल संवाद में कार्ययोजना पर चर्चा की। भागवत ने कहा कि आरएसएस एक रचना मात्र नहीं है। इसके पीछे मूल्य उद्देश्य अपनेपन का है। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अब संघ ढाई लाख जगह लोगों को प्रशिक्षित करेगा। साथ ही 27166 शाखाओं का संचालन नियमित होगा। वर्चुअल बैठक में 245 प्रांत स्तरीय पदाधिकारी शामिल हुए।

देश के हालात व माहौल पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चर्चा के साथ प्रांत प्रचारकों से फीडबैक लिया गया। सूत्रों के मुताबिक प्रचारकों के साथ ऑनलाइन बैठक दीनदयाल शोध संस्थान के उसी सभागार में हुई, जहां अब तक बैठक चल रही है। यहां संघ प्रमुख मोहन भागवत, सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, भैय्या जी जोशी, सुरेश सोनी, राममाधव समेत 24 पदाधिकारी व 10 कार्यकारिणी सदस्य के अलावा 11 क्षेत्रीय प्रचारक मौजूद थे।

संघ की चिंतन बैठक में तय हुआ कि केन्द्र व यूपी में भाजपा से समन्वय के लिए संघ नई जिम्मेदारी देगा। मौजूदा समय संघ के सहकार्यवाह कृष्णगोपाल उत्तर प्रदेश में समन्वयक की भूमिका में हैं। इनका कद बढ़ाया जा सकता है। इसी प्रकार केन्द्र में भी समन्वय की जिम्मेदारी किसी वरिष्ठ पदाधिकारी को दी जा सकती है। भाजपा व संघ के बीच की कड़ी को मजबूत रखने के लिए एक वरिष्ठ प्रचारक मिल सकता है।

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