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धर्मेंद्र सोती ने वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स के बैडमिंटन एकल में जीता कांस्य पदक

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के धर्मेंद्र सोती ने स्पेन के शहर मलेगा में गत 25 जून से दो जुलाई तक हुए 21वें वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में भारत का प्रतिनिधत्व करते हुए बैडमिंटन की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश का परचम लहराया है। इन गेम्स में पुरुष एकल में द्वितीय वरीयता प्राप्त धर्मेंद्र सोती को पहले दौर में बाई मिली थी। दूसरे दौर में उन्होंने फ्रांस के प्रतिद्वंद्वी को हराया।

सेमीफाइनल में वह इंग्लैंड के शिम एंडरसन से हार गया। इस स्पर्धा में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सन ने खिताब पर कब्जा जमाया। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो बाराबंकी में डिप्टी एसपी धर्मेंद्र सोती ने इससे पूर्व अर्जेंटीना मेें 2015 में हुई ट्रांसप्लांट गेम्स में भारत के लिए बैडमिंटन युगल में स्वर्ण व एकल में रजत पदक दिलाया था। धर्मेंद्र ने इससे पूर्व 2013 में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में हुए ट्रांसप्लांट गेम्स में रजत पदक जीता था। वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न देशों में होते है। इन खेलों में वही लोग भाग ले सकते हैं जिनके शरीर के किसी न किसी हिस्से जैसे किडनी, फेफड़ा आदि का प्रत्यारोपण हुआ है।

धर्मेंद्र सोती ने इन खेलों में कई पदक जीतकर विश्व में भारत की नई पहचान बनाई हैं। धर्मेन्द्र सोती का 2001 में एसजीपीजीआई में गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था। उनके छोटे भाई अवधेश सोती ने अपनी एक किडनी देकर उनके जीवन को बचाया था। किडनी ट्रांसप्लांट से पहले धर्मेंद्र सोती ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधत्व करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर कई खिताब जीते थे। सन् 1987 सेे बैडमिंटन की शु्रुआत करने वाले धर्मेेंद्र ने 1987 में स्कूल नेशनल गेम्स व 2001 में सिविल सर्विसेज टूर्नामेंट में पदक जीता था। धर्मेंद्र ने 1997 में नारकोटिक्स ब्यूरो में कार्यभार ग्रहण किया था। सोती ने जीत का श्रेय अपने भाई को दिया और कहा कि मुझे मेरे भाई ने जिन्दगी दी है जिसकी बदौलत मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं। अगर मेरे भाई ने मुझे किडनी नहीं दी होती तो मैं इस दुनिया में पदकों की सफलता की चमक नहीं बिखेर पाता।

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