नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर शेयरों में वायदा (फ्यूचर) और विकल्प (डेरिवेटिव) कारोबार करने पर एक साल की रोक लगा दी है। इसके साथ ही, सेबी ने रिलायंस को 1000 करोड़ रुपए का भुगतान करने का भी आदेश दिया है। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि वह सेबी के इस आदेश को चुनौती देंगे। यह फैसला दस साल पुराने एक मामले में किया गया है। रिलायंस को सेबी ने कहा है कि इस मामले में वह 447 करोड़ रुपए की मूल राशि और इसके साथ-साथ 29 नवंबर 2007 से लेकर अब तक उस पर 12 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करे, जो लगभग 1000 करोड़ रुपए होते हैं।
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इसके तहत रिलायंस के अलावा 12 अन्य को वायदा और विकल्प कारोबार करने से रोका गया है। इनमें गुजरात पेटकोक एंड पेट्रो प्राडक्ट्स सप्लाई, आर्थिक कमर्शियल, एलपीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, रेलपोल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, फाइन टेक कमर्शियल, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, मोटेक सॉफ्टवेयर, दर्शन सिक्युरिटीज, रिलाजिस्टिक्स (इंडिया), रिलाजिस्टिक्स (राजस्थान), विनामारा यूनिवर्सल ट्रेडर्स और धरती इन्वेस्टमेंट एण्ड होल्डिंग्स हैं। सेबी ने 1000 करोड़ रुपए की पूरी राशि लौटाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज को 45 दिनों का वक्त दिया है।
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क्या है मामला?
मामला रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है, जो अब अस्तित्व में नहीं है। इसमें रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में वायदा और विकल्प कारोबार में कथित तौर पर धोखाधड़ी की गई थी। इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मामले को निपटाने के लिए सेबी से आग्रह भी किया था, लेकिन सेबी ने मना कर दिया था। बाद में रिलायंस पेट्रोलियम को रिलायंस इंडस्ट्रीज में मिला दिया गया था।