न जाति की जंजीर, न दलों की दीवार, बाहुबल से ही बनेगा मोकामा का सरदार
दस्तक टाइम्स/एजेंसी- बिहार: पटना. मोकामा विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ष मुकाबला जोरदार है। जाति की जंजीर टूट गई है। चुनाव पूरी तरह से व्यक्ति केंद्रित हो गया है। टाल क्षेत्र में गोलियों की तड़तड़ाहट व हर सप्ताह हत्याएं इतिहास बन गई है। अभी वहां शांति है। बावजूद इसके लोगों के बीच विधि व्यवस्था को लेकर संशय की स्थिति बनने लगी है।
लोग अभी पत्ते नहीं खोल रहे। टटोलने पर मां-बहनों की सुरक्षा क्षेत्र में अपराध न पनपने देने की बात करते हैं। कहते हैं, कोई ऐसा सशक्त विधायक हो जो इस शांति को बरकरार रखे। बहन-बेटियां निर्भीक होकर कॉलेजों में पढ़ाई करने जाएं।
आज के समय में न तो मोल्दियार टोला व शंकरवार टोला के बीच बर्चस्व की लड़ाई है तो टाल क्षेत्र की उन्नति का मुद्दा हवाओं में गूंजने लगा है। न जाति की जंजीर यहां पर हावी है। दलों की दीवार इस क्षेत्र में दरकती दिख रही है। मोकामा में शांति के लिए लोग बाहुबल को ही महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
चतुष्कोणीय मुकाबला बना दो ध्रुवीय
मोकामा में इस बार मुकाबला रोचक है। निर्दलीय विधायक अनंत सिंह, एनडीए से लोक जनतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार कन्हैया सिंह, जदयू के नीरज कुमार व जनाधिकार पार्टी के ललन सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। मुकाबला चतुष्कोणीय दिख रहा था, लेकिन अब इसके दो ध्रुवीय होने की चर्चा है। माना जा रहा है कि विधायक अनंत सिंह व जनाधिकार पार्टी के ललन सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है।
चुनाव से पहले लोजपा का मोकामा में चेहरा रहे ललन सिंह को टिकट न मिलने से उनके स्थानीय समर्थक क्षुब्ध हैं। पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में मुंगेर से लोजपा के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी व उम्मीदवार वीणा देवी को लोगों ने मोकामा से जोरदार समर्थन दिया था।
इस बार उनके भाई कन्हैया सिंह के लोजपा प्रत्याशी के रूप में आ जाने से पार्टी में टूट हो गई। जनाधिकार पार्टी में गए ललन सिंह पार्टी उम्मीदवार को काफी क्षति पहुंचाते दिख रहे हैं। वहीं, जदयू के नीरज कुमार स्थानीय होने के साथ-साथ बेदाग छवि को जनता के बीच प्रचारित कर रहे हैं। आम लोगों का समर्थन भी उन्हें मिल रहा है। वहीं, मोकामा में विधायक अनंत सिंह का भी यहां पर दबदबा भी दिख रहा है।
आम लोगों के बीच उनका बहन-बेटी पर अत्याचार न सहे जाने का नारा खूब चर्चित हो रहा है। इस सब के बीच मोकामा विधानसभा क्षेत्र दलीय सीमाओं से अलग हटकर प्रत्याशियों के साथ नेताओं के देखे जाने को लेकर भी चर्चित हो गया है। विधायक अनंत सिंह के समर्थन में चल रहे प्रचार कार्यक्रम में एनडीए व महागठबंधन के कई नेता देखे जा रहे हैं तो जदयू प्रत्याशी नीरज कुमार के समर्थन में भी एनडीए नेताओं के घूमने की चर्चा है।
कुछ ऐसी ही चर्चा एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में महागठबंधन के नेताओं के घूमने को लेकर हो रही है। विधानसभा क्षेत्र के उपेंद्र प्रसाद वर्मा कहते हैं कि यहां कोई दल नहीं चलेगा। नेताओं के चेहरे को देखकर वोट डाले जाएंगे, निशान कोई मायने नहीं रखता।
दाल के कटोरे में पानी ही नहीं, कैसे उपजेगी फसल
मोकामा टाल के लोग राजनीतिक चर्चाओं के बीच अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। मोकामा से खुसरूपुर तक टाल क्षेत्र में खेत अभी से फटने लगे हैं। दो साल बाद एक बार फिर पूरा टाल क्षेत्र जल संकट से जूझ रहा है। अब तक पानी में डूबे रहने वाले इलाके के किसान आसमान की ओर ताक रहे हैं। पानी बरसे तो दाल के इस कटोरे में बुआई शुरू हो। मुख्य रूप से चना, मसूर व खेसारी का उत्पादन इस टाल क्षेत्र में होता है।
त्रिमुहान पंचायत के पुल के पास त्रिमुहान व मोहनपुर गांव के किसान कहते हैं कि खेत पट्टा पर लेते हैं। पट्टा देने वाले फसल हो या न हो, पैसा लेंगे ही। अब बारिश नहीं हुई तो खाने के लाले पड़ जाएंगे। वहां मौजूद उपेंद्र प्रसाद वर्मा व महेश कुमार पराशर बताते हैं कि टाल की समस्याओं पर किसी सरकार का ध्यान नहीं रहा।
यहां पर गंगा नदी से पानी लाने और खेतों तक पहुंचाने के लिए नहर व पईन और बरसात के मौसम में होने वाले जल जमाव को एकत्र करने के लिए चैनल निर्माण की योजना को अब तक पूरा नहीं कराया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जल प्रबंधन को लेकर चार हजार करोड़ की योजना बनी।
केंद्रीय टीमों का दौरा हुआ। कागजों में ही सिमट कर रह गई। तीन फसल उपजाने की क्षमता रखने वाला यह उपजाऊ क्षेत्र एक फसल भी सही तरीके से उपजा पाने में आज के समय में अक्षम है।
टाल क्षेत्र में न हाईस्कूल, न बिजली
मोकामा टाल क्षेत्र में विकास की बानगी इसी से देखने को मिलती है कि वहां के बच्चों के लिए एक हाईस्कूल नहीं है। 18-20 किलोमीटर दूर से हाईस्कूल में पढ़ने के लिए बच्चों को मोकामा आना होता है। मोहनपुर के विपिन कुमार बताते हैं कि मध्य विद्यालय है। हाईस्कूल में पढ़ने बच्चे मोकामा जाते हैं।
हमलोग पिछड़ा वर्ग से आते हैं। बेटों को तो बाहर भेज देते हैं। कोई पढ़ता है, कोई काम शुरू कर देता है। बेटियों को पढ़ाने की बात टीवी में ही दिखती है। एक बुजुर्ग व्यंग्य करते हैं, बेटा को पढ़ाना मुश्किल है, बेटी को कहां से पढ़ाएंगे। मोकामा जाने के क्रम में कुछ ऊंच-नीच हो गया तो क्या होगा? सवाल का जवाब यहां के जनप्रतिधियों को देना चाहिए।
गांव में तो बिजली भी नहीं है। मोबाइल टावर जरूर हर जगह लग गए हैं। लोगों के हाथ में फोन भी आ गया है। बिजली नहीं है। लोगों ने वैकल्पिक बिजली सोलर एनर्जी पर अपना भरोसा दिखाया है। हर घर की छत पर सोलर प्लेट दिखता है। मोबाइल चार्ज करने, टीवी प्रोग्राम देखने, बल्ब व पंखे चलाने तक में इस बिजली का उपयोग करते हैं।
हालांकि,लोगों का कहना है कि अब बिजली के तार लगाए जा रहे हैं। तीन साल पहले चोरों ने काट लिए थे, तब से टाल का यह इलाका अंधकार में डूबा है।
भूमिहार वोटरों के हाथ जीत की चाबी, कई भागों में बंटेगा वोट
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जीत की चाबी भूमिहार वोटरों के पास है। सबसे बड़ी जनसंख्या और क्षेत्र में दबदबा होने की वजह से लगभग सभी बड़ी पार्टियों ने भूमिहार जाति से उम्मीदवार उतारे हैं। मोकामा के कुल दो लाख 51 हजार 382 मतदाताओं में से करीब एक लाख भूमिहार वोटर हैं। वहीं, विधानसभा क्षेत्र में करीब 16 हजार राजपूत, 28 हजार यादव, 32 हजार धानुक-कुर्मी व 30 हजार दलित-महादलित वोट हैं।
इसके अलावा मुसलमान व अन्य वोटरों की भी संख्या अच्छी-खासी है। विधानसभा में एक लाख 36 हजार 193 पुरुष व एक लाख 15 हजार 182 महिला वोटर हैं। इस चुनाव में भूमिहार वोटर वर्तमान विधायक व अन्य तीन प्रमुख भूमिहार उम्मीदवारों के बीच अपने वोट को बांटने की तैयारी में हैं। अन्य जातियों से भी निर्दलीय उम्मीदवार अपने लोकल कनेक्ट की वजह से वोट काटने की फिराक में लगे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में 8954 मतों से जीते थे अनंत
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में विधायक अनंत सिंह 8954 मतों से जीते थे। वर्ष 2010 के चुनाव में कुल दो लाख 14 हजार 152 वोटर थे। इसमें पुरुष वोटर एक लाख 16हजार 813 और महिला वोटर 97 हजार 339 थे। इसमें से एक लाख 16 हजार 971 वोट पड़े थे। 63 हजार 839 पुरुष व 53 हजार 132 महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था।
इस प्रकार पिछले विधानसभा चुनाव में 54.62 फीसदी वोट डाले गए थे। चुनाव मैदान में नौ उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया था। इसमें से सात उम्मीदवारों का जमानत जब्त हो गया था। विजयी रहे अनंत कुमार सिंह को 51 हजार 564 और दूसरे नंबर पर रही लोजपा की सोनम देवी को 42 हजार 610 वोट मिले थे। अन्य सात उम्मीदवारों के बीच 22 हजार 801 वोट बंटे थे।
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर.लक्ष्मणन ने कहा-भागलपुर जिला प्रशासन को कार्रवाई करने को कहा गया है। फिर जेल अधीक्षक नीरज कुमार झा के नेतृत्व में शुक्रवार को जेलकर्मियों ने वार्ड की तलाश ली। हालांकि वहां कुछ नहीं मिला।
चुनाव को लेकर अनंत सिंह, विधान पार्षद रीतलाल यादव और बाढ़ के पूर्व सांसद विजय कृष्ण को पटना बेउर जेल से भागलपुर जेल में शिफ्ट किया है। सिंह को तृतीय खंड में जगह मिली हैं। उनका वार्ड सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के वार्ड से सटा हुआ है।