नई दिल्ली के तब्लीगी मरकज मामले पर एक्शन में गृह मंत्रालय, 800 विदेशी मौलानाओं को करेगी ब्लैकलिस्ट
नई दिल्ली : कोरोना वायरस से लड़ते हुए पूरा देश लॉकडाउन है, लेकिन कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसी ही बड़ी लापरवाही राष्ट्रीय दिल्ली के निजामुद्दीन में देखने को मिली है। यहां बीती 13 से 15 मार्च के बीच तब्लीगी मरकज में बड़ी संख्या में शामिल हुए। अब खुलासा हुआ है कि इनमें से कइयों को कोरोना वायरस था। इस भीड़ में शामिल लोगों में से अब तक 10 की मौत कोरोना वायरस के कारण हो चुकी है, वहीं 300 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मरने वालों में छह तेलंगाना के हैं। दिल्ली सरकार ने पुलिस से तब्लीगी मरकज के मौलाना के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने को कहा है। तब्लीगी मरकज मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी है। कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय तब्लीगी मरकज से जुड़े इंडोनेशिया के 800 मौलानाओं को ब्लैक लिस्ट कर सकती है, यानी उन्हें अब आगे से भारत आने के लिए वीजा नहीं मिलेगा। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित इस्लामिक धार्मिक केंद्र में शामिल होने देश विदेश के करीब पांच हजार लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। इसमे से एक कनाडा से पहुचे जमाती के बिलासपुर में होने की सूचना है, जानकारी के मुताबिक वह 11 मार्च को बिलासपुर पहुचा था और होटल मैरियट में रुका था, जिसकी खोज की जा रही है। वहीं दिल्ली में हुई जमात में आगरा से छह जमाती गए थे। इनमें से आगरा के तीन, जबकि फीरोजाबाद का एक और एटा के दो शामिल थे। डीजीपी के अलर्ट जारी करने के बाद आगरा से सभी के बारे में जानकारी की गई। अभी तक ये दिल्ली में ही ठहरे हुए हैं। डीजीपी कार्यालय भेजी गई सूची में आगरा के वजीरपुरा निवासी आसिफ, नाई की मंडी निवासी जीशान, मलपुरा के मुल्ला की प्याऊ निवासी इरबाज शामिल हैं। इनके साथ फीरोजाबाद के नक्कारची टोला निवासी रिहान, एटा के जलेसर निवासी आजम खान और गुफरान भी गए थे। एलआइयू की रिपोर्ट के अनुसार ये सभी अभी तक दिल्ली में मरकज मस्जिद निजामुद्दीन में ही एक साथ मौजूद हैं। इधर,मथुरा से भी जमाती भी गए थे। इनमें एक लौट आया है उसका कोरोना की जांच को नमूना लिया गया था। वह निगेटिव मिला है। खबर है कि तब्लीगी मरकज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हाई लेवल मिटिंग जारी है।
वहीं जो विदेशी यहां मिले हैं, उनके वीजा रद्द करने की तैयारी चल रही है।मरकज की तरफ से अपने बचाव में दलील दी गई है कि उन्होंने लॉकडाउन के निर्देश मिलने के फौरन बाद तकरीबन 1500 लोगों को मरकत से रवाना करवा दिया था और बाकी लोगों की मूवमेंट के लिए कुछ गाड़ियों की लिस्ट पुलिस को दी थी ताकि उनकी परमिशन हो सके और बचे हुए लोगों को मूव कराया जा सके। यह जवाब दिल्ली पुलिस द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में है जिसमें उनसे यह सवाल किया गया था कि जब लॉकडाउन के निर्देश हुए बावजूद इसके मरकज में इतनी बड़ी तादाद में लोगों की मौजूदगी कैसे थी। निजामुद्दीन स्थित मरकज का भवन अनधिकृत रूप से बनाया गया है। एसडीएमसी स्टैंडिंग कमेटी के डिप्टी चेयरमैन राजपाल सिंह ने सेंट्रल जोन के डीसी को पत्र लिखकर बिल्डिंग को सील करने को कहा है। तब्लीगी का मतलब धर्म के विस्तार की शिक्षा और मरकज उसका मुख्यालय है। 15 मार्च के बाद भी यहां विदेशी आते रहे। जिस समय लॉकडाउन हुआ, उस समय यहां 1500 लोग मौजूद थे। सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार निजामुद्दीन के मरकज में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, जिनमें से कुछ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। मरकज में तेलंगाना के लोग शामिल हुए थे।