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नदी-नहर, गांव-शहर, हर जगह छठ पर डूबते सूर्य को ऐसे दिया गया अर्घ्य

महापर्व छठ में मंगलवार की शाम को सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया. डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए देशभर के सभी घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ी. पटना से लेकर मुंबई तक श्रद्धालु विधि-विधान से पूजा-पाठ में जुटे नजर आए. बुधवार को चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती उपवास खोलेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे.

पटना से लेकर दिल्ली और मुंबई तक नदी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. जहां पर लोग घाट पर नहीं जा सके, स्विमिंग पूल में ही छठ की रस्में करते नजर आए.

चार दिनों के इस महापर्व में छठ व्रती 36 घंटे का कठिन उपवास करते हैं. पर्व के दौरान मन और शरीर की शुद्धता की बड़ी अहमियत है. मान्यता है कि छठी मइया की बच्चों पर विशेष कृपा होती है. इसलिए संतान की सलामती का आशीर्वाद पाने के लिए भी इस व्रत की बड़ी अहमियत है.

राजनेताओं से लेकर सिलेब्रिटीज तक छठ का पर्व पूरे उत्साह के साथ मना रहे हैं. केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान भी अपने परिवार संग छठ पर्व मनाते नजर आए. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने भी छठ मनाया. वह पूरी तरह भक्ति में लीन दिखाई दिए.

छठ पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूरज की भी वंदना की जाती है, जल अर्पित किया जाता है. प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो भारत के पूर्वांचल इलाके में ही मनाया जाता था लेकिन ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बन चुका है.

इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है. त्योहार से पहले नदी, तालाब, पोखर आदि जलाशयों की सफाई का काम शुरू हो जाता है.

अब छठ पूजा न सिर्फ बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में होती है, बल्कि देश के उन सभी प्रांतों में छठ मनाया जाने लगा है, जहां प्रवासी पूर्वाचली स्थायी तौर पर निवास करते हैं. विदेशों में प्रवासी पूर्वाचली समुदाय छठ त्योहार मनाते हैं. मुंबई से लेकर मॉरीशस और अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया हर जगह छठ के घाट सजते हैं और व्रती सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं.

भारत में प्रकृति और पर्यावरण को भी पूजनीय माना गया है इसलिए पर्वत-पहाड़, पेड़-पौधे, नदी-तालाब, सांप-बिच्छू और चंद्र-सूर्य आदि की पूजा होती है. जहां तक सूर्य की पूजा का सवाल है, तो भारतीय विज्ञान एवं पौराणिक कथाओं में इसका विशेष महत्व रहा है.

सूर्य को संसार में ऊर्जा का मूल स्रोत माना गया है. भारतीय परंपरा में सूर्य की पूजा का उद्देश्य भी यही है कि इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है. प्राय: लोग अपनी दिनचर्या की शुरुआत सूर्य-पूजा से ही करते हैं. यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर ऊर्जा प्रदान करता है, जिसकी पुष्टि विज्ञान ने भी की है.

भारतीय पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की षष्ठी को होने वाली छठ पूजा भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है. यह बदलते हुए मौसम और पर्यावरण के सर्वथा अनुकूल पर्व है, जिसकी तैयारी की शुरुआत लोग ताल, तलैया, नदी, पोखर और तालाबों की सफाई से करते हैं. यह वही समय है जब सर्दी शुरू होती है और हमारे जीवन के लिए सूर्य की गर्मी का महत्व बढ़ जाता है.

कहा जाता है कि कोई डूबते सूर्य को प्रणाम नहीं करता, लेकिन छठ ही एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग सिर्फ उगते सूर्य को ही अर्घ्य नहीं देते, बल्कि वे डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है.

इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें धार्मिक भेदभाव, ऊंच-नीच, जात-पात को भुलाकर लोग एक साथ जलाशयों में मनाते हैं। इस पर्व में अमीर-गरीब सबको मिट्टी के चूल्हे पर ही प्रसाद बनाना होता है. प्रसाद में भी मौसमी फल, ईख, कंद-मूल आदि की प्रधानता होती है.

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